नई दिल्ली। अरविंद सुब्रामण्यन द्वारा मुख्य आर्थिक सलाहकार के पद से इस्तीफा देने के लगभग 6 माह बाद सरकार ने कृष्णमूर्ति सुब्रामण्यन को नया मुख्य आर्थिक सलाहकार नियुक्त किया है। उनकी यह नियुक्ति तीन साल के लिए की गई है। अरविंद ने तीन साल से अधिक समय तक यह जिम्मेदारी निभाई और बाद में पारिवारिक प्रतिबद्धताओं के चलते वित्त मंत्रालय से अपना इस्तीफा दे दिया।
कृष्णमूर्ति इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (आईएसबी) में पढ़ाते हैं, यह भारत का टॉप बिजनेस स्कूल है और दुनिया के टॉप 100 पाथ-ब्रेकिंग रिसर्च लिस्ट में शामिल होने वाला यह अकेला भारतीय संस्थान है। वर्तमान में वह फाइनेंस के एसोसिएट प्रोफेसर और सेंटर फॉर एनालिस्ट फाइनेंस के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर की जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
कृष्णमूर्ति ने शिकागो-बूथ से पीएचडी की है और वह आईआईटी-आईआईएम के टॉप-रैंकिंग छात्र रहे हैं। आईएसबी की वेबसाइट के मुताबिक कृष्णमूर्ति सुब्रामण्यन बैंकिंग, कॉरपोरेट गवर्नेंस और इकोनॉमिक पॉलिसी में दुनिया के अग्रणी विशेषज्ञों में से एक हैं।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के लिए कॉर्पोरेट गवर्नेंस और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के लिए बैंकों के गवर्नेंस पर विशेषज्ञ समितियों में कृष्णमूर्ति की सेवाओं ने उन्हें भारत में कॉर्पोरेट प्रशासन और बैंकिंग सुधारों के मुख्य आर्किटेक्ट्स में से एक के रूप में स्थापित किया है। उन्होंने सेबी की अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट पॉलिसी, प्राइमरी मार्केट्स, सेकेंडरी मार्केट्स और रिसर्च बर बनी स्टैंडिंग कमेटियों में सदस्य के रूप में अपनी सेवाएं दी हैं। अपने कॉरपोरेट पॉलिसी वर्क के हिस्से के रूप में उन्होंने बंधन बैंक, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बैंक मैनेजमेंट और आरबीआई अकादमी के बोर्ड में अपनी सेवाएं दी हैं।
उन्होंने यूनिवसिर्टी ऑफ शिकागो बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस से पीएचडी हासिल की है। बैंकिंग, लॉ एंड फाइनेंस, इन्नोवेशन एंड इकोनॉमिक ग्रोथ और कॉरपोरेट गवर्नेंस पर उनके शोध दि रिव्यू ऑफ फाइनेंशियल स्टडीज, दि जनरल ऑफ फाइनेंशियल इकोनॉमिक्स, दि जनरल ऑफ फाइनेंशियल एंड क्वांटिएटिव एनालिसिस और जनरल ऑफ लॉ एंड इकोनॉमिक्स सहित दुनिया के अग्रणी जनरल्स में प्रकाशित हो चुके हैं।