बिजनेस टायकून के चित्तिलापिल्ली को फोर्ब्स ने ‘Asia's Heroes Of Philanthropy 2018’ चुना है। इसके पीछे लोगों की भलाई के लिए किए गए उनके काम, उनका दयालु स्वभाव और लाभ से ऊपर उठकर समाज के लिए किए गए कार्य हैं। उनके दयालु स्वभाव का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि उन्होंने एक अनजान शख्स को अपनी किडनी दान कर दी थी। जिसे किडनी दान की थी वो पेशे से एक ट्रक ड्राइवर था।
साल 2011 में के चित्तिलापिल्ली ने एक जरूरतमंद अजनबी को अपनी किडनी दी थी। उस वक्त चित्तिलापिल्ली 60 साल के होने वाले थे। जीवन के इस पड़ाव पर वो कोची के एक अस्पताल गए और अजनबी को किडनी दे दी। किडनी डोनेशन के लिए 4 घंटे तक उनकी सर्जरी चली थी।
सबको उनकी चिंती थी लेकिन, वो मानव उपकार के काम से पीछ नहीं हटे। हालांकि, बीमार शख्स की पत्नी भी किडनी देने के लिए तैयार थी लेकिन उसकी किडनी बीमार शख्स की बॉडी से मेल नहीं खा रही थी। इसीलिए, चित्तिलापिल्ली ने उस शख्स को अपनी किडनी दी। इसके बाद बीमार शख्स की पत्नी ने ये वादा किया वो भी किसी जरूरतमंद की ऐसे ही मदद करेगी।
तभी से, चित्तिलापिल्ली ने अपनी दो सूचीबद्ध कंपनियों, वी-गार्ड इंडस्ट्रीज (राजस्व: 320 मिलियन डॉलर) और वंडरला हॉलिडेज (राजस्व: 38 मिलियन डॉलर) को अपने दो बेटों को चलाने के लिए सौंप दिया और खुद परोपकारी गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करने लगे। 2012 में उन्होंने के चित्तिलापिल्ली फाउंडेशन की स्थापना की, जिसमें वो अपनी वार्षिक कमाई का बड़ा हिस्सा दान करते हैं, 2017 में उन्होंने 1.2 मिलियन डॉलर दान किए थे।
इतना ही नहीं, उनके बारे में अभी बहुत कुछ है। चित्तिलापिल्ली ने इसी साल फोर्ब्स की अरबपतियों की सूची में 1.2 बिलियन डॉलर के शुद्ध मूल्य के साथ अपनी जगह बनाई थी। हालांकि इससे अलग उन्होंने वादा किया है कि वो अपने जीवनकाल में अपनी सम्पत्ति का एक तिहाई हिस्सा दान करेंगे। उन्होंने अपनी सूचीबद्ध इकाइयों के कुछ शेयर भी दान के लिए निर्धारित ट्रस्ट में स्थानांतरित कर दिए हैं।
केरला के गुरुवायुर के पास के एक गांव में पले-बड़े के चित्तिलापिल्ली कुल 6 भाई-बहन हैं। वो बचपन में साइंटिस्ट बनने का ख्वाब देखा करते थे। लेकिन बड़े होकर पहले एक बिजनेसमैन के रूप में उभरे और अब अंगदान को बढ़ावा दे रहे हैं। अंगदान को लेकर वो और उनकी फाउंडेशन लोगों में जागरुकता फैला रहे हैं।