नई दिल्ली। चीनी सोशल मीडिया मोबाइल ऐप 'टिकटॉक' और 'हेलो' की मुसीबतें एक बार फिर बढ़ गई हैं। इस बार सरकार ने दोनों पॉपुलर सोशल मीडिया ऐप को नोटिस भेजकर 21 सवालों पर जवाब मांगा है। जवाब न मिलने की स्थिति में सरकार टिक टॉक और हेलो ऐप को बैन भी कर सकती है।
बता दें कि इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने यह कार्रवाई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के एक अनुषंगी संगठन स्वदेशी जागरण मंच की ओर से प्रधानमंत्री को भेजी गई एक शिकायत पर की है।
तय समय सीमा में देना होगा जवाब
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक केंद्र ने इन दोनों एप को चेतावनी दी है यदि तय समय सीमा (22 जुलाई) पर उचित जवाब नहीं दिया तो उन्हें प्रतिबंध का सामान करना पड़ सकता है। आप भी इन 6 बिन्दुओं से जानिए कि आखिर टिक टॉक और हेलो ऐप कैसे लोगों की प्राइवेसी के लिए बड़ा खतरा बन रहे हैं और सरकार को क्या चिंता सता रही है। मंत्रालय ने इन ऐप्स के जरिए बच्चों की प्राइवेसी के साथ होने वाले समझौते पर भी चिंता जाहिर की है।
1- मनोरंजन के लिए भारत में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जा रहे टिक टॉक और हेलो ऐप पर अपने प्लेटफॉर्म में राष्ट्र विरोधी और गैर कानूनी गतिविधियों के लिए मंच का उपयोग करने देने का आरोप लगा है। बेशक, कोई भी सरकार इस तरह की घटनाओं की अनुमति नहीं देगी। टिक टॉक ऐप पर पहले भी ऐसे आरोप लगते रहे हैं और कुछ वक्त के लिए उसे बैन भी कर दिया गया था।
2- डेटा ट्रांसफर करने पर भी चिंता जताई गई है। दोनों चीनी ऐप्स से आश्वासन मांगा गया है कि भारतीय उपयोगकर्ताओं का डेटा मौजूदा समय में और बाद में किसी विदेशी सरकार या तीसरे पक्ष या निजी इकाई को हस्तांतरित नहीं करने का आश्वासन देने के लिए कहा है।
3- इसके अलावा मंत्रालय ने दोनों मंच से भारतीय कानूनों का पालन करने और फर्जी खबर की जांच की दिशा में कि गई पहल पर भी जवाब मांगा है।
4- हेलो ऐप को आरोपों पर जवाब देने के लिए कहा गया है कि उसने अन्य सोशल मीडिया साइटों पर 11,000 रूपांतरित राजनीतिक विज्ञापनों को डालने के लिए एक बड़ी राशि का भुगतान किया।
5- बाल निजता नियमों का उल्लंघन किए जाने को लेकर भी चिंता जताई गई है। सरकार ने इस बात को लेकर भी स्पष्टीकरण मांगा है कि इन सोशल मीडिया मंचों का इस्तेमाल करने के लिये बच्चों की न्यूनतम आयु 13 साल क्यों रखी गई है जबकि भारत में 18 साल से कम आयु वाले को बालक माना गया है।
6- टीक टॉक और हेलो से उनके द्वारा एकत्र किए गए अतिरिक्त डेटा को लेकर भी जवाब तलब किया गया है। दोनों से भारत में उनके कार्यालयों और कर्मचारियों के बारे में भी जानकारी मांगी गई है। उनसे ब्रिटेन में सूचना आयोग द्वारा टिकटॉक के खिला की गई जांच और उसके परिणाम को लेकर भी जानकारी मांग की गई है। सोशल मीडिया से पूछा गया है कि उसकी सामग्री को देखने से पहले छोटे बच्चों के लिये 'चेतावनी टैग' के जरिये उन्हें रोका जाता है अथवा नहीं।
लेकिन क्या सरकार ने टिक टॉक की जांच की है?
भारत में वीडियो मोबाइल एप्लीकेशन टिक टॉक के 104 मिलियन (10.4 करोड़) यूजर्स हैं, हालांकि यह ऐप इंडोनेशिया और बांग्लादेश में पहले से ही बैन है। भारत में बेहद लोकप्रिय वीडियो ऐप टिक टॉक (TikTok) मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सरकार ने पहले टिक टॉक की जांच की थी।
टिकटॉक एवं हेलो ने जारी किया संयुक्त बयान
टिक टॉक और हेलो ने संयुक्त बयान जारी कर कहा है कि वह भारत सरकार को पूरा सहयोग देने के लिए तैयार है। बयान में कहा गया, ''हम सरकार को पूरा सहयोग करेंगे और हम अपनी जिम्मेदारी समझते हैं। इंडिया में हमारे प्लेटफॉर्म को आगे बढ़ने का मौका मिला है और हम भारत में अगले 3 साल में एक अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश की योजना बना रहे हैं।'' वहीं टिकटॉक का कहना है कि कंपनी स्थानीय कम्यूनिटी की जिम्मेदारी के लिए एक टेक्नोलॉजी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवेलप करेगी, जिसमें वह करीब 100 करोड़ निवेश करेगी और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों पर लगाम लगाएगी।
यहां से शुरू हुआ था मुद्दा
बता दें कि स्वदेशी जागरण मंच के सह-संयोजक अश्विनी महाजन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को जो पत्र लिखा है उसमें उन्होंने इन सोशल मीडिया (Social Media) एप में फैल रही राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को लेकर चिंता व्यक्त की थी और ऐसे आपत्तिजनक वीडियोज से भारतीय युवाओं के प्रभावित होने को लेकर शिकायत की थी। मालूम हो कि इस साल अप्रैल के महीने में मद्रास हाईकोर्ट ने भी सरकार को टिकटॉक पर बैन लगाने का आदेश दिया था और कहा था कि सरकार कुछ ऐसे इंतजाम करें जिससे टिकटॉक के वीडियो को फेसबुक या किसी दूसरे सोशल साइट्स पर शेयर न किया जा सके