नई दिल्ली। ट्रांसपोर्टर्स की राष्ट्रव्यापी हड़ताल लगातार तीसरे दिन भी जारी है। आम जनता को महंगी सब्जी-फल खरीदकर और अन्य आवश्यक वस्तुओं की किल्लत का सामना करते हुए इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। लुधियाना में फ्रूट्स एवं वेजीटेबल कमीशन एजेंट एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी अमरवीर सिंह बताते हैं कि पिछले तीन दिनों से मंडी में कोई ट्रक न आने से फल व सब्जी का स्टॉक लगभग खत्म हो रहा है। ऐसे में दाम बढ़ने लगे हैं। ट्रांसपोर्टर्स देशभर में टोल टैक्स सिस्टम को खत्म करने की मांग पर अड़े हैं, जबकि सरकार इस साल दिसंबत तक देशभर में इलेक्ट्रॉनिक टोल चालू करने की बात कह रही है। ट्रांसपोर्टर्स की साल में एक बार एकमुश्त टोल फीस देने की मांग सही नहीं है। वहीं सरकार भी अपने आप को गलत नहीं मानती हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इस समस्या के लिए जिम्मेदार कौन है?
पहले जानिए ट्रांसपोर्टर्स की मांग
टोल फ्री इंडिया। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस की मांग है कि सरकार एक ट्रक के लिए नेशनल परमिट फीस सालाना 30 हजार रुपए और इंटरस्टेट परमिट के लिए 10 हजार रुपए फिक्स करे।
पुराने ट्रकों में स्पीड गवर्नर लगाने की शर्त को खत्म किया जाए। यह केवल नए वाहनों पर ही लागू हो।
ट्रक किराये पर लगने वाले 2 फीसदी टीडीएस को भी खत्म किया जाए।
क्या है सरकार का कहना
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि वह खुद चाहते हैं कि टोल प्लाजा पर ट्रांसपोर्टर्स को कोई समस्या न हो। ट्रांसपोर्टर्स के भरोसा दिलाते हुए गडकरी ने कहा कि इस साल दिसंबर अंत तक सभी 325 टोल प्लाजा को इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम में बदल दिया जाएगा। इससे ट्रांसपोर्टर्स की समस्याओं का निराकरण हो जाएगा।
जिम्मेदार – भ्रष्टाचार!
सड़क परिवहन और राजमार्ग सचिव विजय छिब्बर इस समस्या की मुख्य वजह तक पहुंचने में कामयाब रहे। उन्होंने अपने एक बयान में कहा है कि ट्रांसपोर्टर्स द्वारा उठाए गए मुद्दे गलत नहीं हैं। टोल राशि का यहां कोई मुद्दा नहीं है। ट्रांसपोर्टर्स टोल भुगतान के विरोध में नहीं हैं। यह विरोध राज्यों की पुलिस और अन्य सरकारी संस्थाओं के खिलाफ है। यदि केंद्र सरकार टोल प्लाजा को खत्म भी कर दे, तब भी राज्यों में पुलिस व अन्य संस्थाओं द्वारा उनका शोषण जारी रहेगा। यह गवर्नेंस और करप्शन से जुड़ा मुद्दा है, जिससे वल राज्य सरकार के स्तर पर ही निपटा जा सकता है।
टोल फ्री इंडिया सहीं नहीं
इंडियन फाउंडेशन ऑफ ट्रांसपोर्ट रिसर्च एंड ट्रेनिंग (IFTRT) के योजक एसपी सिंह का कहना है कि ट्रांसपोर्टर्स द्वारा वार्षिक फीस तय करने की मांग तर्कसंगत नहीं है। यह तो एक तय शुल्क देकर मनचाहे उपयोग करने जैसा है। अभी आप जितना उपयोग करते हो उसके हिसाब से शुल्क देना होता है।
टोल टैक्स से जुड़े रोचक तथ्य
देश में कुल 373 टोल रोड हैं। इनके निर्माण पर कुल 173,000 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं।
63 टोल रोड पर खर्च कुल रकम पूरी वसूल हो चुकी है। इन पर कुल 13,000 करोड़ रुपए खर्च हुए, जबकि इनसे अब तक वसूली हुई 21,000 करोड़ रुपए की।
सभी टोल रोड से सालाना वसूली तकरीबन 15,000 करोड़ रुपए।
आईआईएम कोलकाता की रिपोर्ट के आधार पर टोल प्लाजा पर लगने वाले अधिक समय और ईंधन की बर्बादी से सालाना 88,000 करोड़ रुपए का लॉस हो रहा है।