नई दिल्ली: Finance bill, Fiscal deficit, Balance of payments और Current account deficit ऐसे कुछ शब्द हैं, जिनका मतलब हर किसी को समझ नहीं आता। बजट भाषण के दौरान देश के वित्त मंत्री ऐसे ही तमाम शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। हम आपको बताते हैं इन शब्दों का मतलब क्या होता है और यह किस प्रकार आपके बजट पर असर डालते हैं।
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बैलेंस ऑफ पेमेंट (Balance of payments):
एक देश और शेष दुनिया के बीच हुए वित्तीय लेनदेन के हिसाब को बैलेंस ऑफ पेमेंट यानी भुगतान संतुलन कहा जाता है।
बैलेंस बजट (Balanced budget) :
एक केंद्रीय बजट बैलेंस बजट तब कहलाता है, जब वर्तमान प्राप्तियां मौजूदा खर्चों के बराबर होती हैं।
बजट घाटा (Budgetary deficit):
ऐसी स्थिति तब उत्पन्न होती है, जब आपके खर्चे प्राप्त राजस्व से अधिक हो जाते हैं।
बांड (Bond):
यह कर्ज का एक प्रमाणपत्र होता है, जिसे कोई सरकार या कॉरपोरेशन जारी करती है ताकि पैसा जुटाया जा सके। इस पर ब्याज मिलता है।
सेनवैट (CENVAT):
यह एक केंद्रीय वैल्यू एडेड टैक्स है, जो मैन्युफैक्चरर (निर्माताओं) पर लगाया जाता है। इस टर्म को साल 2000-2001 में पेश किया गया था।
कॉरपोरेट टैक्स (Corporate tax):
इस तरह का टैक्स कॉरपोरेट संस्थानों या फर्मों पर लगाया जाता है, जिसके जरिए सरकार को आमदनी होती है।
चालू खाता घाटा (Current account deficit):
इस तरह का घाटा राष्ट्रीय आयात और निर्यात के बीच के अंतर को दर्शाता है।
आयकर (Income tax): यह आपकी आय के स्रोत जैसे कि आमदनी, निवेश और उस पर मिलने वाले ब्याज पर लगता है।
इनडायरेक्ट टैक्स (Indirect taxes): यह उत्पादित वस्तुओं एवं आयातित-निर्यातित सामानों पर उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क और सेवा शुल्क के जरिये लगता है।
डॉयरेक्ट टैक्स (Direct taxes):
व्यक्ति और संस्थानों की आय और उसके स्रोत पर इनकम टैक्स, कॉरपोरेट टैक्स, कैपिटल गेन टैक्स और इनहेरिटेंस टैक्स के जरिये लगता है।
उत्पाद शुल्क (Excise duties):
एक देश की सीमा के भीतर बनने वाले सभी उत्पादों पर लगने वाला टैक्स।
सीमा शुल्क (Customs duties):
यह उन वस्तुओं पर लगाया जाता है, जो देश में आयातित की जाती है या फिर देश के बाहर निर्यात (विशेष उत्पाद) की जाती है।
विनिवेश (Disinvestment):
सरकार द्वारा किसी सार्वजनिक संस्थान में अपनी हिस्सेदारी बेचकर राजस्व जुटाने की प्रक्रिया।
राजकोषीय घाटा (Fiscal deficit):
यह सरकार के कुल खर्च और राजस्व प्राप्तियों एवं गैर ऋण पूंजी प्राप्तियों का योग के बीच का अंतर है।
जीडीपी (GDP):
यह एक वित्तीय वर्ष में देश की सीमा के भीतर उत्पादित कुल वस्तुओं एवं सेवाओं का कुल योग होता है।
फाइनेंस बिल (Finance bill):
यह सरकार द्वारा प्रस्तावित नए टैक्स का विवरण होता है, इसमें मौजूदा टैक्स में कुछ संशोधन भी शामिल होते हैं।