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Myths: तेज Bike चलाने के हैं शौकीन तो जान लीजिए ये 5 Facts

Bike ट्रांसपोर्टेशन का सिर्फ एक जरिया नहीं है। बल्कि ये रफ्तार के शौकीनों के लिए एक जुनून है। जो कि शौक के साथ ही बढ़ता चला जाता है।

Dharmender Chaudhary
Published : November 30, 2015 7:20 IST
Myths: तेज Bike चलाने के हैं शौकीन तो जान लीजिए ये 5 Facts
Myths: तेज Bike चलाने के हैं शौकीन तो जान लीजिए ये 5 Facts

नई दिल्‍ली। Bike ट्रांसपोर्टेशन का सिर्फ एक जरिया नहीं है। बल्कि ये रफ्तार के शौकीनों के लिए एक जुनून है। जो कि शौक के साथ ही बढ़ता चला जाता है। लेकिन शौक से लेकर जुनून तक के सफर में हम बाइकिंग से जुड़ी कुछ एसी भ्रामक जानकारियां अपने दिलो दिमाग में बसा लेते हैं जो अक्‍सर हमारे लिए ही खतरनाक बन जाती हैं। ये गलत-फहमियां राइडर्स के लिए परेशानियों के साथ कई बार दुर्घटनाओं का कारण भी बनती हैं। यही ध्‍यान में रखते हुए BikeDekho.com के साथ इंडिया टीवी पैसा की टीम आपको बताने जा रही है ऐसे ही पांच गलतफहमियों के बारे में, जिसमें आप हमेशा गलत साबित होते हैं।

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रेस रबर टायर देता है परफेक्ट ग्रिप

अक्‍सर आपको भ्रम होता है कि रेस रबर टायर का इस्तेमाल प्रोफेशनल राइडर और रेसर भी सिर्फ और सिर्फ रेसिंग ट्रैक पर ही करते हैं। क्योंकि यहां बाइक्स काफी तेज रफ्तार से दौड़ती हैं। कभी-कभी तो यह रफ्तार 350 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंच जाती है। इस रफ्तार पर टायरों का ज्यादा गर्म होना लाजमी है, लिहाजा यह टायर रेस ट्रैक से ज्यादा चिपके रहते हैं उनकी पकड़ अच्छी होती है। लेकिन आम सड़कों पर चलने के दौरान ऐसा नही होता। ये टायर सिटी की सड़कों पर बेहतरीन परफॉर्मेंस नहीं दे पाते हैं। राइडर बेहतर ग्रिप के भ्रम में रेस रबर टायरों पर पैसा बर्बाद करते हैं और मनचाहे नतीजे न मिलने पर बाइक राइडिंग का भरपूर आनंद नहीं ले पाते हैं। इसलिए राइडरों को सलाह दी जाती है कि वे सामान्य सड़कों के अनुसार ही बाइक में टायर लगवाएं।

तस्वीरों में देखिए Bikes से जुड़ें MYTHS

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जितनी महंगी बाइक, उतना ही बेहतरीन परफॉर्मेंस

आमतौर पर लोगों की धारणा है कि मंहगी बाइक्स अच्छा परफॉर्मेंस देती हैं। लेकिन सच ये है कि परफॉर्मेंस बाइक के रख-रखाव पर निर्भर करती है। आज के समय में ज्यादातर युवा बाइक खरीदने के मामले में कमर्शियल वीडियो से प्रभावित हो जाते हैं। आपको बता दें कि वीडियो को तैयार करने में प्रोफेशनल बाइक राइडरों का सहारा लिया जाता है जो वीडियो में स्टंट करते हुए दिखाई देते है। ग्राहकों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए कंपनी बाइक के अट्रेक्टिव विज्ञापन दिखाती है। ऐसे में बाइक खरीदने से पहले आप उसकी पूरी जानकारी प्राप्त कर करने के साथ एक लम्बी टेस्ट ड्राइव भी लें। क्योंकि काफी समय ऐसा भी होता है कि कंपनियां बाइक के बारे में जो दावा कर रही है, वह सिटी की सड़कों पर सही साबित नहीं हो पाता।

सपनों की बाइक से बाइकिंग की शुरुआत

आपका सपना है 1000सीसी बाइक खरीदने का, तो इसमें कोई बुराई नहीं है। लेकिन अगर आप पहली बार ऐसी किसी बाइक की राइड पर निकल रहे हैं तो यह बाइक और आप दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है। इसलिए आपको सलाह दी जाती है पहले हल्की बाइक से शुरुआत करें, उसकी हैंडलिंग को समझें इसके बाद ही पावरफुल स्पोर्ट्स बाइक का रुख करें। हालांकि ये फैसला आपके बजट और बाइक एक्सपीरियंस पर भी तय करता है। फिर भी सुपर बाइक के बेसिक्स जानना हमेशा फायदेमंद ही रहता है।

कार ड्राइवर हमेशा बनते हैं दुर्घटना का कारण

आमतौर पर लोगो की धारणा है कि कार ड्राइवरों से ही सबसे ज्यादा हादसे होते हैं। लेकिन काफी समय ऐसा भी होता है, जब बाइक राइडर सड़कों पर रेस कर रहे होते हैं और इस दौरान वे ओवरटेक करने या कट लगाने के चक्कर में किसी कार से टकरा जाते हैं। इसके अलावा कई बार गलत साइड में बाइक चलाने या फिर पास लेने पर भी हादसा हो जाता है। इसलिए राइडर को हमेशा संतुलित तरीके, ठंडे दिमाग और सही साइड में बाइक चलाने की आदत होनी चाहिए।

एबीएस व अन्य नाम केवल नाम ही है

एबीएस केवल नाम ही नहीं है, बल्कि एक बड़ा एक सेफ्टी फीचर भी है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पुराने समय में बाइक को कंट्रोल करने के लिए केवल ड्रम ब्रेक्स ही दिए जाते थे। जो इमरजेंसी ब्रेकिंग में बहुत ज्यादा कारगर साबित नहीं होते थे। और हादसा होने पर राइडर को इसका दोषी ठहराया जाता है। परन्तु आज टेक्नोलॉजी का काफी विस्तार हो गया है। सेफ्टी के लिए बाइक में अब एबीएस (एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम) दिया जाने लगा है। पावरफुल बाइकों में सेफ्टी के लिए यह एक स्टैंडर्ड फीचर है। एबीएस के कारण राइडर बाइक को तुरन्त कंट्रोल कर लेता है। बाइक स्किड नहीं करती है। ऐसे में राइडर और सामने वाले किसी शख्स के घायल होने की संभावना काफी घट जाती हैं।

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