नई दिल्ली। आईटी कंपनी Happiest Minds के आईपीओ में बोली लगाने वाले निवेशकों को शेयर अलॉटमेंट का बेसब्री से इंतजार है। खासकर रिटेल और एचएनआई निवशकों के लिए एक-एक पल काटना भारी पड़ रहा है। करीब 700 करोड़ रुपए का यह इश्यू जबरदस्त हिट रहा और इसे करीब 58, 294 करोड़ रुपए की बोलियां हासिल हुई हैं। इसमें एंकर श्रेणी शामिल नहीं है। आईटी क्षेत्र के दिग्गज अशोका सूता की कंपनी Happiest Minds के शेयर का अलॉटमेंट किस आधार पर किया जाएगा, यह मंगलवार तक तय होने की संभावना है। यह इश्यू 9 सितंबर को खुला था और 11 सितंबर को बंद हुआ था। इस इश्यू को 151 गुना बोलियां मिली थीं। इसके लिए प्रति शेयर दायरा मूल्य 165-166 रुपए रखा गया था। इसे एचएनआई श्रेणी में 351 गुना, क्यूआईबी कैटगरी में 77 गुना और रीटेल श्रेणी में 70 गुना बोलियां मिली थीं।
ऐसे करें चेक स्टेट्स
इस इश्यू को लेकर निवेशकों में जबरदस्त उत्साह है। अनलिस्टेड जोन के दिनेश गुप्ता के मुताबिक अनलिस्टेड शेयरों के अनऑफिशियल मार्केट में यह धारणा दिख रही है और इस स्टॉक पर प्रति शेयर 142-146 रुपए प्रीमियम चल रहा है। इस स्टॉक के 17 सिंतबर को सूचीबद्ध होने की संभावना है। जिन निवेशकों ने इश्यू के लिए बोली लगाई है वो kfintech.com पर सब्सक्रिप्शन स्टेट्स देख सकते हैं। यह आईपीओ के रजिस्ट्रार KFin Technologies Priviate Limited का ऑनलाइन पोर्टल है।
अशोक सूता की वजह से हिट हुआ आईपीओ
अशोका सूता की कंपनी हैपिएस्ट माइंड्स के आईपीओ को लोगों ने खूब पसंद किया है। वह भारत की इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी सर्विसेज इंडस्ट्री के दिग्गज हैं, जिन्होंने तीन बड़ी आउटसोर्सिंग कंपनियों के प्रमुख की भूमिका निभाई है। इनमें से एक है दिग्गज कंपनी विप्रो लिमिटेड और बाकी दो पब्लिक कंपनियां हैं। उनकी स्टार्टअप कंपनी हैपिएस्ट माइंड्स को इतना तगड़ा रेस्पॉन्स मिला की ये आईपीओ इस दशक का भारत का सबसे सफल आईपीओ बन गया है।
आईटी सर्विसेज कंपनी हैपिएस्ट माइंड्स के 700 करोड़ रुपए के आईपीओ को 151 गुना बोलियां मिली हैं। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि लोगों ने फाउंडर अशोक सूता की विश्वसनीयता पर दाव खेला है। निवेशकों को अशोक सूता पर पूरा भरोसा है। अशोक सूता ने 77 साल की उम्र में एक बार फिर वही सफलता दोहराई है जो उन्होंने 13 साल पहले हासिल की थी। 2007 में उनकी कंपनी माइंडट्री के आईपीओ को 103 गुना ज्यादा बोलियां मिली थी। कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन के कारण उनके 76 फीसदी रेवेन्यू पर कोई असर नहीं पड़ा है। इसमें से आधे से ज्यादा रेवेन्यू एडटेक और हाई-टेक सेक्टरों से आता है।
सूता का कहना है कि उनकी कंपनी का जोर डिजिटल सेवाओं पर है जो उसे दूसरी आईटी कंपनियों से अलग बनाती है। यही वजह है कि हैपिएस्ट माइंड्स पिछले तीन साल में 21 फीसदी की सालाना दर से बढ़ी है जबकि आईटी इंडस्ट्री की ग्रोथ 8 से 10 फीसदी रह गई है। सूता ने आईआईटी-रुड़की से इंजीनियरिंग की और वह श्रीराम रेफ्रिजरेशन इंडस्ट्रीज में काम कर रहे थे। 1985 में अजीम प्रेमजी ने उन्हें अपनी आईटी कंपनी विप्रो को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी सौंपी।
अगले 14 वर्षों तक सूता विप्रो का चेहरा बने रहे और वाइस चेयरमैन के पद तक पहुंचे। 1999 में उन्होंने दस अन्य लोगों के साथ मिलकर माइंडट्री की स्थापना की। 2007 में कंपनी का आईपीओ बेहद सफल रहा। लेकिन इसके बाद कंपनी के संस्थापकों में मतभेद उभरने लगे और सूता ने खुद को माइंडट्री से अलग कर लिया। उन्होंने कंपनी में अपने सारे शेयर बेच दिए और 2011 में 68 साल की उम्र में हैपिएस्ट माइंड्स की स्थापना की।