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जिसे कभी लोग समझते थे ठग, ऐसे रातोंरात बना एशिया का सबसे अमीर

अलीबाबा के मालिक जैक मा एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति बन गए है। उनकी कुल संपत्ति अनुमानों से अधिक रातोंरात 2.8 बिलियन डॉलर (करीब 17.9 हजार करोड़ रुपए) बढ़ गई।

Ankit Tyagi
Updated on: June 09, 2017 11:57 IST
जिसे कभी लोग समझते थे ठग, ऐसे रातोंरात बना एशिया का सबसे अमीर- India TV Paisa
जिसे कभी लोग समझते थे ठग, ऐसे रातोंरात बना एशिया का सबसे अमीर

नई दिल्ली। चीन की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा के फाउंडर जैक मा एशिया के सबसे अमीर आदमी बन गए है। चीन की ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा के मालिक जैक मा की कुल संपत्ति अनुमानों से अधिक रातोंरात 2.8 बिलियन डॉलर (करीब 17.9 हजार करोड़ रुपए) बढ़ गई। ब्लूमबर्ग की अरबपतियों की लिस्ट के मुताबिक जैक मा अब एशिया के सबसे अमीर और दुनिया के 14वें सबसे अमीर व्यक्ति बन गए हैं। हाल में उनकी जीवनी पर आधारित किताब ‘अलीबाबा: द हाउस दैट जैक मा बिल्ट’ में बताया गया है कि जब जैक ने 1999 में हांगझू के अपने अपार्टमेंट में अलीबाबा कंपनी का काकाज शुरू किया तो लोग उन्हें शक की नजरों से देखते थे। उन्हें तीन साल तक ठग ही समझते रहे। बाद में जाकर लोगों को यकीन हुआ कि वे तो उनकी जिंदगी आसान करने वाले व्यक्ति हैं। यह भी पढ़े: जैक मा ने की ट्रंप से मुलाकात, 10 लाख अमेरिकियों को नौकरी देने का संकल्प जताया
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एशिया के सबसे अमीर बने जैक मा

अलीबाबा ग्रुप होल्डिंग के मालिक जैक मा की संपत्ति इस साल 54.5 हजार करोड़ रुपए बढ़कर 41.8 बिलियन डॉलर (करीब 2.6 लाख करोड़ रुपए) पहुंच गई है। रातोंरात इतनी लंबी छलांग का कारण अलीबाबा की कंपनी के रेवन्यू ग्रोथ का अनुमानों से कई अधिक रहना है। जैक मा के अलीबाबा में 13 प्रतिशत शेयर हैं जो रेकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गए। चीन की ऑनलाइन शॉपिंग और सोशल मीडिया पर एकछत्र राज करने वाली अलीबाबा अब म्यूजिक और विडियो स्ट्रीमिंग में भी हाथ आजमाने जा रही है। अलीबाबा अपनी शॉपिंग साइट्स में विडियो के जरिए डिजिटल ऐडवर्टाइजिंग बढ़ा रहा है। अलीबाबा इस हफ्ते इन्वेस्टर्स के साथ मीटिंग में कंपनी के नए प्रयोगों पर बात करने वाले हैं।
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टीचर की नौकरी छोड़ शुरू की थी कंपनी
बिल गेट्स या स्टीव जॉब्स की तरह जैक मा के पास कम्प्यूटर साइंस की भी कोई पृष्ठभूमि नहीं रही। बचपन में कभी उन्होंने कम्प्यूटर इस्तेमाल नहीं किया। गणित के पेपर में एक बार उन्हें 120 में से केवल एक अंक मिला, ऐसे में उनकीकामयाबी की कहानी और भी हैरान करती है।1980 में वह अपने शहर में स्कूल टीचर की नौकरी करने लगे। तीन साल बाद उन्होंने इस नौकरी को छोड़ अनुवाद करने वाली एक कंपनी खोली। यह भी पढ़े: अलीबाबा पाकिस्तान में शुरू करेगी कारोबार, निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए किया करार
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मिस्टर इंटरनेट के नाम से थे मशहूर
सन 1994 में जब वह अपने बिजनेस के सिलसिले में अमेरिका गए हुए थेतो वहां इंटरनेट देखकर हैरान रह गए। उन्हें यह बात करामाती लगी कि कैसे घर बैठे लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से इंटरनेट के जरिए जुड़ सकते हैं। वहां से लौटने के बाद उन्होंने ‘चाइना पेज‘ लॉन्च किया। यह देश की पहली ऑनलाइन डायरेक्टरी थी।  इसकी कामयाबी से मा चीन में ‘मिस्टर इंटरनेट‘ के नाम से मशहूर हो गए।  लेकिन आगे रास्ता आसान नहीं था। चीन में इंटरनेट लाने के लिए यह जरूरी था कि वह सरकाका ध्यान इस ओर खींचें। यह इंटरनेट का शुरुआती चरण था और बहुत ही कम घरों में कम्प्यूटर देखने को मिलता था। लगातार कई नाकामियों के बाद मा ने चाइना पेज बंद कर दिया और अपने नए प्रोजेक्ट अलीबाबा की तैयारी में लग गए।
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1999 में 21 फरवरी को रखी थी अलीबाबा की नींव
21 फरवरी 1999 को जैक मा ने अलीबाबा की नींव रखी और इसके लिए अपने 17 दोस्तों को तैयार किया। हालांकि, जैक मा पढाई में बिल्कुल अच्छे नहीं थे, वो पांचवीं कक्षा में ही दो बार फेल हो गए थे। वह आठवीं कक्षा में भी 3 बार फेल हो गए थे। जैक मा पुलिस में भर्ती होना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने Apply भी किया, लेकिन वहां भी उन्हें Reject कर दिया गया था। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने उन्हें 10 बार Reject किया। जब जैक मा के शहर में KFC ने अपनी ब्रांच खोली तो जैक ने उस जॉब के लिए भी Apply किया पर वहां से भी Reject हो गए। करीब 30 नौकरी से Rejection के बाद जैक मा ने अलीबाबा की शुरुआत की और सफलता का स्वाद चखा। आज उनकी कंपनी जबरदस्त फायदे में है और दुनिया के ई-कॉमर्स बाजार में सबसे आगे है।यह भी पढ़े: बैंकिंग व वित्तीय सेवाओं में 10,000 करोड़ रुपए निवेश करेगी Paytm, पेमेंट बैंक की अंतिम मंजूरी मिलने का है इंजार
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छह मिनिट में इम्प्रेस कर मिल गया था लोन
 जापान की बड़ी फाइनेंशियल कंपनी सॉफ्टबैंक से जैक मा कर्ज लेने में कामयाब हुए। यह कंपनी चीन के आईटी सेक्टर में निवेश करती है।
अलीबाबा में शुरुआती निवेश करने वालों में से एक वू यिंग ने वेबसाइट पर लिखा, एक पुरानी सी जैकेट और हाथ में एक कागज पकड़े वह हमारे पास आया था। कुल छह मिनट में उसने निवेशकों को इतना यकीन दिला दिया कि उन्हें दो करोड़ अमेरिकी डॉलर का कर्ज मिल गया।
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राजनीति का किया भरपूर इस्तेमाल
 इसके बाद कंपनी ने अपने फायदे के लिए चीन की इंटरनेट राजनीति का भरपूर इस्तेमाल किया। उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं को विश्वास दिलाया कि कंपनी किसी भी तरह से पार्टी के खिलाफ नहीं है।  वह कहते हैं, “हम अपने शेयर होल्डर्स के लिए वैल्यू बनाते हैं। हमारे शेयर होल्डर नहीं चाहते कि हम सरकार की मुखालफत करें।  हम सरकार के साथ मोहब्बत करते हैं, लेकिन उनसे शादी नहीं करेंगे। यह भी पढ़े: इन्फोसिस के फाउंडर्स 28 हजार करोड़ रुपए में बेच सकते है कंपनी में पूरी हिस्सेदारी, शेयर 3 फीसदी नीचे
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 कई विवादों में भी फंसे थे जैक मा
 सके बाद कंपनी ने कई विवाद भी झेले। 2011 में अलीबाबा को झटका लगा जब कंपनी को कथित रूप से नकली सामान बेचते पाया गया।
इसके बाद उन्होंने अपने दो सहायकों को नौकरी से निकाल दिया। लोगों ने उन पर चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से मिले होने के आरोप भी लगाए और जांच की मांग की। लेकिन आलोचनाओं की परवाह किए बिना वे आगे बढ़ते रहे।
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नए कदम
तमाम विवादों के बावजूद मा के समर्थक उन्हें एक ट्रेंडसेटर के रूप में देखते हैं। चीन की सोशल नेटवर्किंग साइट वीबो पर उन्हें 1.5 करोड़ फॉलो करते हैं। उन पर लिखी गई एक किताब ‘मा-इज्म‘ के मुताबिकएक नया धर्म आ चुका है। मई 2013 में मा ने अलीबाबा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी का पद छोड़ दिया। हालांकि, इससे न ही उनकी शोहरत में कोई कमी आई न कंपनी के इर्द-गिर्द मंडराते विवादों में।
मा ने इशारा दिया कि आगे वह ऑनलाइन डाटा टेक्नोलॉजी की दिशा में काम करना चाहते हैं। हाल में त्सिंगुआ यूनिवर्सिटी में एक लेक्चर के दौरान उन्होंने कहा कि दुनिया अब आईटी से डीटी की तरफ जा रही है।

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