नई दिल्ली। अमेरिका के नेतृत्व में 12 देशों ने हाल ही में अब तक के सबसे बड़े क्षेत्रीय व्यापार समझौते ट्रांस पैसीफिक पार्टनरशिप (TPP) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते का मुख्य मकसद समूह देशों में उत्पाद और सेवाओं के लिए उच्च मानकों को स्थापित करना है। साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीन के बढ़ते प्रभाव को नियंत्रित करना इस समझौते का दूसरा पक्ष है। इस समझौते का असर पूरी दुनिया और सभी उद्यमों पर पड़ेगा, जिससे भारत भी अछूता नहीं रहेगा। TPP का भारत पर क्या असर होगा इसे बताना अभी जल्दबाजी होगी, लेकिन इससे जुड़े कुछ पहलुओं को हम आपके सामने रख रहे हैं, जिनहें जानना आपके लिए जरूरी है।
क्या है TPP
ट्रांस पैसीफिक पार्टनरशिप (TPP) को अब तक हुए सभी फ्री ट्रेड समझौतों में से सबसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस समझौते का उद्देश्य समूह देशों के बीच आर्थिक गठजोड़ को मजबूत करना, टैरिफ घटाना और ग्रोथ को बूस्ट कर व्यापार को बढ़ाना है। यह समझौता एक नया सिंगल बाजार तैयार कर सकता है, जैसा कि यूरोप में है। इसका मतलब है कि यह समझौता घरेलू उद्योगों या राजनीतिक रूप से जुड़ी कंपनियों को विशेष लाभ देने के लिए सरकारों द्वारा व्यापार बाधाओं को स्थापित करने की समस्या पर काबू पाने में मददगार होगा।
किस के बीच हुआ समझौता
ट्रांस पैसीफिक पार्टनरशिप (TPP) 12 देशों के बीच बातचीत के जरिये एक व्यापार समझौता है। यह समझौता ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, चिली, कनाडा, जापान,मलेशिया, मेक्सिको, न्यूजीलैंड, पेरू, सिंगापुर, यूएस और वियतनाम के बीच हुआ है। इन 12 देशों की संयुक्तरूप से दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 40 फीसदी हिस्सेदारी है। इसके अलावा दो अन्य बड़े क्षेत्रीय व्यापार समझौतों पर भी बातचीत चल रही है। इसमें पहला है ट्रांसएटलांटिक ट्रेड एंड इन्वेस्टमेंट पार्टनरशिप (TTIP) जो अमेरिका और यूरोपियन यूनियन के बीच होना है। दूसरा है रीजनल कॉम्प्रेहेन्सिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (RCEP) जो दक्षिणपूर्व एशियाई राष्ट्र और इनके चार फ्री-ट्रेड पार्टनर्स के बीच होना है, जिसमें चीन और भारत भी शामिल हैं।
क्या है समझौते में
उत्पादों और सेवाओं को बड़ा बाजार उपलब्ध कराने के अलावा TPP में बौद्धिक संपदा अधिकार, विदेशी निवेश, प्रतिस्पर्धा नीति, पर्यावरण, श्रम, सरकार के स्वामित्व वाले उद्यम, ई-कॉमर्स, प्रतिस्पर्धा और सप्लाई चेन, सरकारी खरीद, व्यापार के लिए तकनीकी बाधाएं, हेल्थकेयर टेक्नोलॉजी और फार्मास्यूटिकल में पारदर्शिता और नियामक के गठन पर सहमति व्यक्त की गई है।
क्या बोले ओबामा
अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इस समझौते पर कहा है कि, जब 95 फीसदी से ज्यादा हमारे संभावित ग्राहक हमारी सीमाओं से बाहर हैं, ऐसे में हम चीन जैसे देशों को वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए नियम बनाने का अधिकार नहीं दे सकते, हमें खुद इन नियमों को लिखना चाहिए। अमेरिकी उत्पादों के लिए नए बाजार तलाशने होंगे, जबकि श्रमिकों की रक्षा करने और पर्यावरण को बचाने के लिए उच्च मानक स्थापित करने होंगे। ओबामा ने कहा कि इस समझौते से किसानों, पशुपालकों और विनिर्माताओं को एक समान बाजार उपलब्ध होगा।
अन्य व्यापार समझौतों से कैसे अलग है TPP
यह समझौता एक व्यापार सौदे से कही बढ़कर है। इसमें दो दर्जन से ज्यादा चैप्टर हैं जो कि टैरिफ से लेकर निवेश विवाद तक सभी को कवर करते हैं। इस समझौते में एक विवाद-निपटान की प्रक्रिया भी शामिल है, जो देशों को व्यापार समझौते के दौरान की गई उनकी प्रतिबद्धाताओं को सुनिश्चित करने में मददगार होगी।
भारत के सामने चुनौती
वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर जनरल हर्ष वर्धन सिंह ने टीपीपी पर अपने डिसकशन पेपर में कहा है कि दुनिया के दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं अमेरिका और जापान के इस समझौते में शामिल होने से इसके मानक ग्लोबल स्टैंडर्ड के तौर पर प्रभावी बन जाएंगे। ऐसी स्थिती में भारत जैसे देशों को अपनी नीतियों को विकसित करने और अंतरराष्ट्रीय जरूरतों के मुताबिक मानकों को अपग्रेड करने के लिए उत्पादकों की क्षमता बढ़ाने पर काम करना होगा।