नई दिल्ली। अब आपको दोस्त या किसी रिश्तेदार को पैसे भेजने या फिर मंगाने के लिए बैंक अकाउंट डिटेल की जरूरत नहीं होगी। इसके लिए बस आपके पास यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस यानी यूपीआई आईडी होनी चाहिए। पिछले हफ्ते देश में नई पेमेंट क्रांति की शुरुआत हो चुकी है। 21 से ज्यादा बैंकों ने पिछले हफ्ते यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) की शुरुआत नए एप लॉन्च कर की। इसमें कार्ड पेमेंट, एनईएफटी, आईएमपीएस और डिजिटल वॉलेट का स्थान लेने की क्षमता है। इसका कारण यूपीआई बहुत ही सरल पेमेंट प्रक्रिया है। यूपीआई रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन का अविष्कार है।
डाउनलोड करें एप
पिछले हफ्ते 21 बैंकों ने यूपाआई की शुरुआत की है। यूपीआई एप प्लेस्टोर पर उपलब्ध हैं। आप किसी भी बैंक का यूपीआई एप डाउनलोड करें। इस एप को अपने बैंक अकाउंट के साथ जोड़ें। एक यूनिक एड्रेस बनाएं। अपने नाम से भी बना सकते हैं। इसके बाद अकाउंट को आधार से लिंक करे। एक पिन बनाएं। बस आप अब पैसे ट्रांसफर करने और उसे पाने के लिए तैयार हैं। अगर आपके स्मार्टफोन में पहले से ही किसी बैंक का मोबाइल एप्लीकेशन है तो आप उसी में यूपीआई का विकल्प मिलेगा।
क्या है यूपीआई
यूपीआई यानी यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस एक ऐसा एप्लिकेशन है, जिसके द्वारा कस्टमर्स आसानी से पैसों का लेन-देन कर सकते हैं। आप केवल स्मार्टफोन से एक क्लिक के जरिए से ट्रांजैक्शन करेंगे।अभी तक नेट बैंकिंग भी करते हैं तो आपको लॉगइन करने से लेकर और ट्रांजैक्टशन पासवर्ड आदि डालना और याद रखना पड़ता है। इसमें आईडी बनाने के बाद एक क्लिक पर काम होगा।
ऐसे पहचानिए नकली करेंसी नोट
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ऐसे बनाए आईडी
यूपीआई एक वर्चुअल आईडी से दूसरी आईडी तक फंड ट्रांसफर करता है। वर्चुअल आईडी बैंक से मिलेगी। अगर आपका फोन नंबर 1234567890 है और खाता एबीसी बैंक में है तो आपका वर्चुअल आईडी 1234567890@एबीसी भी हो सकता है।
ऐसे करें इस्तेमाल
घर पर किसी मेंबर्स को पैसे भेजने हैं तो उसकी वर्चुअल आईडी डालिए और उसमें भेजी जाने वाली राशि भरिए और फिर पे टू का बटन क्लिक कर दीजिए। यूपीआई ऐप से एक दिन में 50 रुपए से लेकर एक लाख रुपए तक ट्रांसफर हो सकते हैं।
यूपीआई में ये काम अभी नहीं हो पाएंगे
बैंक अकाउंट नहीं है तो इसका इस्तेमाल नहीं कर सकते। जबकि पेटीएम जैसे मोबाइल वॉलेट या इट्सकैश जैसे कैश कार्ड के लिए अकाउंट अटैच होना जरूरी नहीं है।अभी पर्सन टू कंपनी लेन-देन नहीं हो सकता है भविष्य में यह हो सकता है। जैसे- अभी बिजली बिल या अन्य बिलों का भुगतान यूपीआई से संभव नहीं है। अभी पर्सन टू पर्सन या अकाउंट टू अकाउंट लेन-देन हो सकता है। मर्चेंट को पेमेंट कर सकते हैं लेकिन इसे कितने अपनाते हैं ये देखना होगा। 90% दुकानदार कैश ही लेते हैं।
अन्य बिलों को भी कर सकते हैं भुगतान
पैसों के लेन-देन के अलावा आप फ्यूचर में जरूरत के बिल भुगतान, ऑनलाइन शॉपिंग वगैरह इसकी हेल्प से कर सकते हैं। आपके ये सभी काम यूपीआई से आसान हो जाएंगे। अगले दो से तीन हफ्तों में इसे ई-मर्चेंट्स (ऑनलाइन दुकानदार) के लिए भी लॉन्च किया जाएगा। इसके बाद मोबाइल टॉप अप, टेलिकॉम बिल, ई-कॉमर्स कंपनियों को पेमेंट और ऑन लाइन शॉपिंग आसान हो जाएगी। आने वाले समय में इससे बिजली के बिल जैसे गवर्नमेंट पेमेंट भी आसानी से किए जा सकेंगे। इस ऐप का इस्तेमाल 50 रुपए से लेकर एक लाख रुपए तक के लेन-देन के लिए किया जा रहा है।
बेहद सस्ता ऑप्शन
यूपीआई पैसे ट्रांसफर करने का सबसे सस्ता तरीका है। इसमें आप 5 रुपए तक बिना लागत की चिंता किए ट्रांसफर कर सकते हैं। यूपीआई के जरिए पैसे ट्रांसफर करने की फीस 50 पैसे से भी कम है। यूपीआई से तुरंत पैसे ट्रांसफर हो जाते हैं। इसके जरिए आप रात दिन कभी भी रकम ट्रांसफर कर सकेंगे। आईएमपीएस और एनईएफटी के जरिए पैसे ट्रांसफर करने के लिए आपको पैसे ट्रांसफर करने वाले को अपने बैंक अकाउंट में जोड़ना पड़ता है। इसमें कम से कम 30 मिनट का वेटिंग पीरियड है। यूपीआई में इस तरह की कोई रोक नहीं है।
दो साल में चार गुना बढ़ा कैश लेस ट्रांजैक्शन
आरबीआई के आकंड़ों के मुताबिक, देश में मोबाइल बैंकिंग ट्रांजैक्शन बीते दो साल में चार गुना से अधिक बढ़ चुका है। देश में फिलहाल 46 प्री-पेड मोबाइल वॉलेट और कैश कार्ड कंपनियां हैं जिनमें से वर्तमान में 25 प्रमुख रूप से एक्टिव हैं। इनमें पे-टीएम सबसे बड़ी कंपनी है। पिछले साल अकेले मोबाइल वॉलेट से 20 हजार करोड़ रुपए के ट्रांजैक्शन हुए। मौजूदा समय में देश में कुल पेमेंट्स में से 80 फीसदी लेन-देन नगद में होता है। हमारा अनुमान है कि वर्ष 2023 तक यह रेश्यो 50:50 हो जाएगा। साथ ही, 30 करोड़ लोग कैशलेस ट्रांजैक्शन करेंगे।
छुट्टी में भी हो सकेगा पैसा ट्रांसफर
एक्सपर्ट बताते है कि यूपीआई लेन-देन का सबसे सुरक्षित तरीका भी है। साथ ही, 24 घंटे सातों दिन कभी भी आप पैसे एक अकाउंट से दूसरे अकाउंट में भेज सकते हैं, चाहे बैंक में छुट्टी ही क्यों न हो।