नई दिल्ली। बाजार में नकली उत्पादों से परेशान लोगों के लिये अच्छी खबर है। अब आप सिर्फ SMS भेजकर यह पता लगा सकते हैं कि उत्पाद असली है या नकली। अमेरिकी कंपनी फार्मासेक्योर ने भारत समेत कुछ देशों में संबंधित कंपनियों के साथ मिलकर इस दिशा में पहल की है। शुरूआत में कंपनी ने यह सुविधा दवाओं के मामले में शुरू की थी। बाद में रोजमर्रा के उपयोग के सामान (एफएमसीजी), इलेक्ट्रानिक्स, सौंदर्य प्रसाधन जैसे उत्पादों के लिये यह सेवा शुरू की गयी। इसके लिये कंपनी ने प्रोडक्टसेक्योर के नाम से एक अलग इकाई बनायी।
नकली सामान पर लग जाएगी नकेल
कंपनी के अनुसार आप SMS के अलावा मोबाइल एप भी पर उत्पाद का ‘बारकोड’ डालकर या वेबसाइट के जरिये यह पता लगा सकते हैं कि वस्तु असली है या नकली। फार्मासेक्योर के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी नकूल पसरीचा ने इस बारे में बताया कि भारत समेत पूरी दुनिया में नकली उत्पाद बढ़ रहे हैं। इससे न केवल ब्रांड की विश्वसनीयता और कंपनी की आय प्रभावित होती है, बल्कि सरकारों को करोडों रुपये के कर का भी नुकसान होता है। नकली उत्पाद लोगों के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के लिहाज से भी खतरनाक है।
ऐसे होगी असली और नकली की जानकारी
उन्होंने उद्योग मंडल फिक्की के एक अध्ययन का हवाला देते हुए बताया कि नकली उत्पादों के कारण भारत सरकार को लगभग 39,000 करोड रुपये के कर राजस्व का नुकसान होता है। SMS अथवा एप के काम करने के तरीके के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि उनकी संस्था कंपनियों के साथ गठजोड़ कर उत्पाद के प्रत्येक बैच पर विशिष्ट कोड डालते हैं। इसके अलावा बैच संख्या, वस्तु के खराब (एक्सपायरी) होने की तारीख का भी उस पर जिक्र होता है। साथ ही हम उस पर फोन नंबर डालते हैं। ग्राहक संबंधित उत्पाद के कोड को टाइप कर अगर उस नंबर पर SMS भेजता है तो उसके मोबाइल पर तुरंत संदेश आता है कि वह उत्पाद असली है या नकली।
अभी इस तरह के सामान की मिलेगी जानकारी
पसरीचा ने कहा कि कंपनी जो भी जानकारी साझा करना चाहेगी, यानी अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी), ‘एक्सपायरी’ तारीख आदि समेत सभी जानकारी SMS के जरिये ग्राहकों को मिल जाएगी। यह पूछे जाने पर कि भारत में इसको लेकर किन—किन कंपनियों से गठजोड हुआ है, उन्होंने कहा कि फिलहाल तार और केबल बनाने वाली पालीकैब, औषधि कंपनी यूनिकेम तथा राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के साथ गठजोड हुआ है। इसके अलावा रोजमर्रा के उपयोग का सामान बनाने वाली कंपनियों, टिकाऊ उपभोक्ता सामान, इलेक्ट्रानिक सामान तथा वाहनों के कल—पुर्जे बनाने वाली इकाइयों के साथ भी गठजोड़ के लिये बातचीत चल रही है।