नई दिल्ली। कुमार मंगलम बिडला ने वोडाफोन आइडिया को नॉन एग्जीक्यूटिव चैयरमैन और नॉन एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के पद से इस्तीफा दे दिया है। कंपनी ने आज शेयर बाजार को भेजी गयी जानकारी में कहा कि उनका इस्तीफा बोर्ड के द्वारा स्वीकार कर लिया गया है और उनकी जगह नॉन एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हिमांशु कपानिया को नॉन एग्जीक्यूटिव चैयरमैन के रूप में चुन लिया गया है।
कुमार मंगलम बिड़ला की जगह लेने वाले हिमांशु कपानिया टेलीकॉम इंडस्ट्री से पिछले 25 सालों से जुड़े हुए हैं। वो 2 साल के लिये सेल्युलर ऑपरेटर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के चेयरमैन भी रह चुके हैं। फिलहाल वो टेलीकॉमस इलेक्ट्रॉनिक्स और डिजिटल इकोनॉमी की फिक्की काउंसिल के चेयरमैन हैं। इसके साथ ही वोडाफोन आईडिया ने जानकारी दी कि अदित्य बिड़ला ग्रुप के एक नॉमिनी सुशील अग्रवाल एडिशनल डायरेक्टर (नॉन एग्जीक्यूटिव- नॉन इंडिपेंडेंट) चुना गया है।
इससे पहले आदित्य बिड़ला ग्रुप के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने कर्ज में डूबी टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया लिमिटेड में अपनी हिस्सेदारी को सरकार या अन्य किसी सार्वजनिक संस्था को सौंपने की पेशकश की थी। उन्होने यह पेशकश जून में कैबिनेट सचिव राजीव गाबा को लिखे एक पत्र के माध्यम से की थी। 7 जून को कैबिनेट सचिव राजीव गाबा को लिखे खत में बिड़ला ने एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर), स्पेक्ट्रम बकाया पर पर्याप्त छूट अवधि और फ्लोर प्राइस जैसे मुद्दों पर भी स्पष्टता मांगी थी। उन्होंने खत में लिखा है कि सरकार के तत्काल और प्रभावी समर्थन के बिना वोडाफोन आइडिया का परिचालन बनाए रखना अंसभव होगा। उन्होंने यह भी कहा कि निवेशक भी इन मुद्दों पर स्पष्टता चाहते हैं। इस पत्र की खबर सामने आने के बाद ही शेयर में तेज गिरावट देखने को मिली।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, वोडाफोन आइडिया लि. पर कुल 58,254 करोड़ रुपये का एजीआर बकाया है। इसमें से कंपनी ने अभी तक केवल 7,854.37 करोड़ रुपये का भुगतान किया है और उसे अभी 50,399.63 करोड़ रुपये का भुगतान और करना है । बिड़ला की वोडाफोन आइडिया लि. में लगभग 27 प्रतिशत हिस्सेदारी है। उन्होंने अपने खत में लिखा है कि निवेशक एजीआर देनदारी, स्पेक्ट्रम भुगतान पर पर्याप्त मोराटोरियम और कॉस्ट ऑफ सर्विस से अधिक फ्लोर प्राइस जैसे मुद्दों पर स्पष्टता न होने के कारण कंपनी में निवेश करने के इच्छुक नहीं हैं। बिड़ला ने कहा कि इन तीन मुद्दों पर जुलाई तक सरकार के तत्काल और सक्रिय समर्थन के बिना, वोडाफोन आइडिया की वित्तीय स्थिति कंपनी को बंद करने के मोड़ पर पहुंच जाएगी। सितंबर 2020 में वोडाफोन आइडिया लिमिटेड को उसके बोर्ड से 25000 करोड़ रुपये जुटाने की मंजूरी मिली थी। हालांकि, कंपनी अभी तक यह धन जुटाने में कामयाब नहीं हुई है। बिड़ला के खत के मुताबिक वोडाफोन आइडिया लिमिटेड ने अभी तक किसी चीनी निवेशक से संपर्क नहीं किया है। वोडाफोन आइडिया पर कुल 1,80,310 करोड़ रुपये का कर्ज है।