नई दिल्ली। खरीफ फसलों की बुवाई चालू सत्र में अब तक 1,095.38 लाख हेक्टेयर के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुकी है। अच्छी बारिश और फसलों के लिए बीज, उर्वरक तथा अन्य जरूरी सामान की समय पर उपलब्धता से यह संभव हो पाया है। कृषि मंत्रालय ने यह जानकारी दी है। धान की बुवाई अभी भी जारी है, जबकि दलहन, मोटे अनाज, बाजरा और तिलहन फसलों की बुवाई लगभग समाप्त हो चली है।
कृषि मंत्रालय ने कहा कि चालू खरीफ सत्र के बुवाई के आंकड़ों को दो अक्टूबर को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। खरीफ बुवाई का पिछला रिकॉर्ड वर्ष 2016 में हासिल किया गया था, जब किसानों ने कुल 1,075.71 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसल बोई थी। खरीफ की बुवाई जून से दक्षिण पश्चिम मानसून आने के साथ शुरू होती है और अक्टूबर से कटाई का काम शुरू होता है।
मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, खरीफ की फसलें इस सत्र में अब तक 1,095.38 लाख हेक्टेयर के रिकॉर्ड क्षेत्र में बोई जा चुकी है, जबकि साल भर पहले बुवाई का रकबा 1,030.32 लाख हेक्टेयर था। इसमें कहा गया है कि अच्छी बारिश तथा बीज, कीटनाशक, उर्वरक, मशीनरी और ऋण जैसे जरूरी सामान का समय से पहले इंतजाम रखने के कारण महामारी की स्थिति के बावजूद भी खेती के रकबे के दायरे में वृद्धि संभव हुई है।
आंकड़ों के अनुसार, खरीफ सत्र के दौरान धान बुवाई का कुल रकबा 8.27 प्रतिशत बढ़कर 396.18 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो पिछले साल 365.92 लाख हेक्टेयर था। दलहनों की बुवाई का रकबा 4.67 प्रतिशत बढ़कर 136.79 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो पहले 130.68 लाख हेक्टेयर था, जबकि मोटे अनाजों का रकबा 1.77 प्रतिशत बढ़कर 179.36 लाख हेक्टेयर हो गया, जो पहले 176.85 लाख हेक्टेयर था। इसी तरह, तिलहन का रकबा चालू खरीफ सत्र में अब तक 12 प्रतिशत बढ़कर 194.75 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया, जो पहले 174 लाख हेक्टेयर ही था। नकदी फसलों में, गन्ने की बुवाई का रकबा 1.30 प्रतिशत बढ़कर 52.38 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया, जो कि पिछले साल इसी सत्र में 51.71 लाख हेक्टेयर था, जबकि कपास बुवाई का रकबा 3.24 प्रतिशत बढ़कर 128.95 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा है, जो पहले 124.90 लाख हेक्टेयर था। देश में अब तक कुल वर्षा में नौ प्रतिशत वृद्धि हुई है।