नई दिल्ली। मानसून की वर्षा के असमान वितरण से खरीफ बुवाई प्रभावित होने की संभावना है, जो पिछले साल की तुलना में एक प्रतिशत कम रह सकती है। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। क्रिसिल रिसर्च ने एक रिपोर्ट में कहा, ‘‘हमारे विचार में, कुल खरीफ बुवाई साल- दर- साल आधार पर एक प्रतिशत कम रहने की उम्मीद है।’’ इसमें कहा गया है, ‘‘आठ अगस्त तक बुवाई साल- दर- साल दो प्रतिशत कम थी, जो पिछले साल बुवाई बढ़ने और पिछले पांच वर्षों के औसत से तीन प्रतिशत अधिक होने के कारण हुई थी।’’
रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून ने जून के अंत से जुलाई के मध्य तक रुकने के बाद तेजी दर्ज की, जिससे 12 जुलाई को वर्षा के दीर्घावधि औसत (एलपीए) में सात प्रतिशत की दर्ज कमी आठ अगस्त तक केवल चार प्रतिशत पर आ गयी। हालांकि, मौसम विभाग का अनुमान है कि शेष मौसम में मानसून सामान्य रहेगा। गुजरात जहां देश के कुल मूंगफली के बुवाई क्षेत्र का 40 प्रतिशत और कपास के क्षेत्र का 20 प्रतिशत आता है वही ओडिशा जहां धान के कुल क्षेत्र का 8 प्रतिशत हिस्सा आता है, बारिश की कमी दर्ज कर चुके हैं। जबकि इससे अलग तेलंगाना, हरियाणा और आंध्र प्रदेश में अधिक बारिश हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय कृषि काफी हद तक वर्षा पर निर्भर है, इस साल मानसून ठीक रहने की वजह से, खरीफ के लिए मूंगफली और सोयाबीन की जगह किसान मक्का और धान की बुवाई की तरफ रुख कर रहे हैं।
मौसम विभाग ने अनुमान दिया है कि अगस्त और सितंबर के दौरान पूरे देश में बारिश सामान्य के 95 प्रतिशत से 105 प्रतिशत के बीच रह सकती है। वहीं मौसम पर स्थानीय प्रभावों की वजह से मध्य भारत के कई क्षेत्रों से लेकर उत्तर भारत के कुछ क्षेत्रों में सामान्य या सामान्य से कम बारिश रह सकती है। वहीं दक्षिण भारत और पूर्वोत्तर भारत के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से ज्यादा बारिश हो सकती है।
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