नयी दिल्ली। मानसून की प्रगति में शिथिलता के कारण देश में खरीफ फसलों की बुवाई की रफ्तार भी धीमी है। अब तक खरीफ का रकबा 234.33 लाख हेक्टेयर पहुंचा है जो पिछले साल के मुकाबले 27 प्रतिशत पीछे चल रहा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल इस मौसम में अब तक 319.68 लाख हेक्टेयर में फसल बोयी जा चुकी थी। मौसम विभाग के अनुसार इस साल बारिश सामान्य से 33 प्रतिशत कम हुई है। दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत भी कुछ देर से हुई है। मौसम विभाग का अनुमान है कि जुलाई-अगस्त में बारिश अच्छी रहेगी।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार खरीफ की मुख्य फसल धान की बुवाई पिछले सप्ताह के अंत तक 52.47 लाख हेक्टेयर हुई जबकि पिछले साल इसी दौरान धान का रकबा 68.60 लाख हेक्टयेर तक पहुंच गया था। छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, ओडिशा, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, अरुणाचल प्रदेश, बिहार, असम, पश्चिम बंगाल और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में धान की बुवाई पिछड़ी है।
खरीफ की दलहनों की बुवाई भी बुरी तरह प्रभावित हुई है। अब तक इसका रकबा 7.94 लाख हेक्टेयर तक ही पहुंच सका है जबकि पिछले साल अब तक यह 27.91 लाख हेक्टेयर था। इसी तरह मोटे अनाज का रकबा भी एक साल पहले के 50.65 लाख हेक्टेयर की तुलना में अब तक 37.37 लाख हेक्टेयर ही पहुंचा है।
इस दौरान मुंगफली, सूरजमुखी और सोयाबीन जैसी तिलहन फसलों की बुवाई भी पिछड़ी हुई है। इनका रकबा 34.02 लाख हेक्टेयर ही पहुंच सका है जबकि पिछले साल अब तक 59.37 लाख हेक्टेयर तिलहनी फसल बोयी गयी थी। गन्ने की बुवाई में हल्की गिरावट देखी गयी है। यह पिछले साल के 51.41 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 50 लाख हेक्टेयर क्षेत्र तक ही पहुंची है।
इसी तरह से कपास और पटसन की बवाई भी कम बारिश से प्रभावित हो रही है। कपास का रकबा 54.60 लाख हेक्टेयर की तुलना में अभी 45.85 लाख हेक्टेयर ही है। सरकार ने खरीफ की 14 अधिसूचित फसलों की न्यूनतम समर्थन कीमतों में महत्वपूर्ण वृद्धि की है।