नई दिल्ली। चालू मानसून सीजन में देशभर औसत से ज्यादा बारिश होने से उत्साहित किसानों ने खरीफ सीजन की फसलों की बुवाई में पूरी ताकत झोंकी है, जिससे सभी फसलों का रकबा 1,000 लाख हेक्टेयर के पार चला गया है। शुक्रवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, खरीफ फसलों की बुवाई के सीजन के औसत रकबे के 95.23 प्रतिशत में बुवाई हो चुकी है, जबकि बीते वर्ष की समान अवधि से की तुलना में करीब नौ प्रतिशत ज्यादा बुवाई हुई है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 14 अगस्त 2020 तक खरीफ फसलों की बुवाई 1,015.58 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 8.54 प्रतिशत ज्यादा है।
इस सीजन में सभी फसलों की बुवाई का औसत रकबा 1,066.44 लाख हेक्टेयर होता है, जिसका 95.23 प्रतिशत रकबा हो चुका है और अभी कई फसलों की बुवाई जारी है। कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि देश में इस साल प्रमुख तिलहन और दलहन फसलों के साथ-साथ मोटे अनाज और कपास की खेती में किसानों ने ज्यादा दिलचस्पी दिखाई है। हालांकि सीजन की सबसे प्रमुख फसल धान का रकबा भी पिछले साल की समान अवधि से 14.05 प्रतिशत बढ़कर 351.86 लाख हेक्टेयर हो चुका है। सबसे ज्यादा वृद्धि मूंगफली के रबके में हुई है, जो पिछले साल के मुकाबले 41.02 प्रतिशत बढ़कर 49.37 लाख हेक्टेयर हो गया है। दलहन फसलों की बुवाई 124.01 लाख हेक्टेयर में हुई है, जो पिछले साल से 2.07 प्रतिशत अधिक है।
वहीं, तिलहनों का रकबा 14.41 प्रतिशत बढ़कर 187.14 लाख हेक्टेयर हो गया है। किसानों ने मोटे अनाज की बुवाई 168.12 लाख हेक्टेयर में की है, जो पिछले साल से 3.60 प्रतिशत अधिक है। कपास की बुवाई 125.48 लाख हेक्टेयर में हुई है, जो पिछले साल से 3.20 प्रतिशत ज्यादा है। किसानों ने गन्ने की फसल 52.02 लाख हेक्टेयर में लगाई है, जो पिछले साल से 1.21 प्रतिशत अधिक है। कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि मानसून की प्रगति इस साल अब तक बेहतर रही है और फसलों की बुवाई भी ज्यादा हो रही है, लिहाजा पहले से ज्यादा उत्पादन की उम्मीद है।
मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, चालू मानसून सीजन में एक जून से लेकर 14 अगस्त तक देशभर में औसत से दो प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई है। मानूसन के दौरान अब तक देशभर में 591.4 मिलीमीटर बारिश हुई है, जबकि इस दौरान औसत बारिश 578 मिलीमीटर होती है। हालांकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पूर्वी राजस्थान समेत मौसम विभाग के 36 में से पांच सब-डिवीजनों में मानसून की बेरुखी अब तक बनी हुई है।