नई दिल्ली: कृषि मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि अब तक धान सहित खरीफ फसलों की बुवाई का रकबा 499.87 लाख हेक्टेयर है जो पिछले साल इसी अवधि की तुलना में 10.43 प्रतिशत कम है। मानसून के सभी क्षेत्रों में प्रसार बढ़ने के बाद बुवाई के गति पकड़ने की उम्मीद है। एक साल पहले की समान अवधि में, खरीफ फसलों की बुवाई 558.11 लाख हेक्टेयर में की गई थी, जबकि खरीफ सत्र 2020-21 के अंत में कुल रकबा 1,121.75 लाख हेक्टेयर था।
चालू 2021-22 खरीफ सत्र में नौ जुलाई तक 1,000-1,100 लाख हेक्टेयर (हेक्टेयर) के कुल खरीफ क्षेत्रफल के लगभग 45 प्रतिशत में बुवाई पूरी हो चुकी है। धान, दलहन और अन्य खरीफ फसलों के रोपाई के लिए जुलाई में मानसून की प्रगति काफी महत्वपूर्ण है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, एक जून से सात जुलाई के बीच दक्षिण-पश्चिम मानसून सामान्य से कम था, लेकिन इस सप्ताह से फिर से शुरू होगा और 10 जुलाई के बाद सभी क्षेत्रों को अपने दायरे में लेगा।
मंत्रालय के अनुसार, अनिश्चित बारिश और मानसूनी बारिश के कम प्रसार के कारण चालू 2021-22 खरीफ सत्र में महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और पंजाब में खरीफ फसलों की बुवाई अब तक पीछे है। मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, खरीफ सत्र 2021-22 में अब तक धान की बुवाई का रकबा 114.82 लाख हेक्टेयर है, जबकि एक साल पहले की अवधि में यह रकबा 126.08 लाख हेक्टेयर था।
धान की कम बुवाई बिहार (2.74 लाख हेक्टेयर), छत्तीसगढ़ (2.18 लाख हेक्टेयर), असम (1.37 लाख हेक्टेयर), हरियाणा (1.31 लाख हेक्टेयर), पश्चिम बंगाल (0.91 लाख हेक्टेयर), आंध्र प्रदेश (0.80 लाख हेक्टेयर) से धान की कम बुवाई की सूचना मिली थी। हेक्टेयर), मणिपुर (0.74 लाख हेक्टेयर), और ओडिशा (0.66 लाख हेक्टेयर) जैसी जगहों में प्रगति पर है।
इसी तरह, दलहन खेती का रकबा एक साल पहले की अवधि के 53.35 लाख हेक्टेयर की जगह अभी 52.49 लाख हेक्टेयर है। मोटे अनाज की बुवाई पिछले साल इस समय तक के 88.21 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 73.07 लाख हेक्टेयर में की गई है, जबकि तिलहन की बुवाई उक्त अवधि में 126.13 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 112.55 लाख हेक्टेयर में हुई है। नकदी फसलों में, कपास की बुवाई का रकबा इस खरीफ सत्र में अब तक 86.45 लाख हेक्टेयर है, जबकि एक साल पहले की अवधि में यह 104.83 लाख हेक्टेयर था।
आंकड़ों के अनुसार, हालांकि, समीक्षाधीन अवधि में गन्ने का रकबा 53.56 लाख हेक्टेयर है जो पहले 52.65 लाख हेक्टेयर था। इसी तरह जूट और मेस्ता की फसल का रकबा 6.93 लाख हेक्टेयर है, जो पहले 6.87 लाख हेक्टेयर था। मंत्रालय ने कहा कि मौसम विभाग ने अनुमान लगाया है कि मानसून की बारिश लगभग सभी क्षेत्रों में होने की उम्मीद है, जिससे आने वाले दिनों में खरीफ की बुवाई जोरों पर होगी। दक्षिण-पश्चिम मानसून भारतीय कृषि के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि लगभग 60 प्रतिशत कृषि भूमि में सिंचाई व्यवस्था नहीं है।