नई दिल्ली। अच्छे मानसून की उम्मीद में मौजूदा सत्र में खरीफ फसलों की बुआई का रकबा 26 अगस्त की स्थिति के मुताबिक 1019.10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र हो चुका है। पिदले साल की समान अवधि में यह आंकड़ा 973.40 लाख हेक्टेयर था। वहीं दालों का बुवाई क्षेत्र 34 फीसदी बढ़कर 139.42 लाख हेक्टेयर हो गया है। पिछले साल इसी मौसम में दालों का बुवाई क्षेत्र 103.85 लाख हेक्टेयर था।
दालों का उत्पाद बढ़ाने पर जोर, 425 रुपए क्विंटल तक बढ़ाया MSP, बोनस भी देगी सरकार
सरकार को उम्मीद है कि इस साल 2016-17 के फसल वर्ष (जुलाई-जून) में दालों का उत्पादन बढ़कर दो करोड़ टन रहेगा, जो पिछले साल 1.65 करोड़ टन रहा था। खरीफ के मौसम में धान की बुवाई 363.07 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हुई है, जबकि पिछले साल खरीफ के मौसम में यह 352.23 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में ही हुई थी। इसी प्रकार तिलहन का बुवाई क्षेत्र भी पिछले साल के 174.58 लाख हेक्टेयर क्षेत्र के मुकाबले बढ़कर 177.74 लाख हेक्टेयर हो गया है। हालांकि, गन्ने की बुवाई पिछले साल की तुलना में इस साल 49.60 लाख हेक्टेयर से घटकर 45.55 लाख हेक्टेयर, कपास की बुवाई 122.68 लाख हेक्टेयर से घटकर 102.78 लाख हेक्टेयर, जूट एवं मेस्ता की बुवाई 7.73 लाख हेक्टेयर से घटकर 7.56 लाख हेक्टेयर रही है।
सरकार की प्याज पर निर्यात शुल्क लाभ देने की घोषणा
कीमतों में जोरदार गिरावट पर अंकुश के लिए सरकार ने प्याज पर निर्यात शुल्क लाभ देने का फैसला किया है, जिससे इसके निर्यात को प्रोत्साहित किया जा सके। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार एशिया के सबसे बड़े प्याज बाजार महाराष्ट्र के लासलगांव में प्याज का दाम गिरकर 6 रुपए प्रति किलोग्राम पर आ गया, जो एक साल पहले 48.50 रुपए किलो था।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि ताजा तथा भंडारित प्याज के निर्यात पर शुल्क लाभ 31 दिसंबर तक मिलेगा। सीतारमण ने ट्वीट किया कि वाणिज्य मंत्रालय ताजा तथा भंडार वाले प्याज के निर्यात को प्रोत्साहन के लिए पांच प्रतिशत का एमईआईएस (भारत से वस्तुओं के निर्यात की योजना) उपलब्ध कराएगी।