मुंबई। प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (सैट) ने बुधवार को कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग लिमिटेड के मामले में शीर्ष बैंकों को राहत देने से इनकार कर दिया। इन ऋणदाताओं ने कार्वी के पास मौजूद प्रतिभूतियों को वापस ग्राहकों को स्थानांतरित करने के फैसले के खिलाफ अपील की थी।
आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और इंडसइंड बैंक ने दलील दी थी कि इनमें से कई प्रतिभूतियों का इस्तेमाल उनसे कर्ज लेने के लिए किया गया। बैंकों का कहना था कि न्यायाधिकरण या तो ये प्रतिभूतियां उन्हें वापस दिलाए या एस्क्रो खाते में फ्रीज करे। यह मामला कार्वी के पास मौजूद प्रतिभूतियों से संबंधित है।
ब्रोकरेज द्वारा कथित रूप से इनका इस्तेमाल कर्ज लेने के लिए किया गया। कंपनी ने उनके पास मौजूद मुख्तारनामे का इस्तेमाल कर यह कर्ज लिया। सोमवार को 83,000 ग्राहकों की प्रतिभूतियों को उन्हें लौटा दिया गया। इसके बाद बजाज फाइनेंस ने सैट का दरवाजा खटखटाया। उसके आगे और स्थानांतरण के मामले में अंतरिम राहत मिल गई।
निजी क्षेत्र के बैंक भी मंगलवार को इस याचिका में शामिल हो गए और इस पर लंबी सुनवाई हुई। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कार्वी ब्रोकिंग पर 22 नवंबर को और स्टॉक ब्रोकिंग गतिविधियों के संदर्भ में और ग्राहक जोड़ने पर रोक लगाई थी। सैट की सीकेजी नायर और न्यायमूर्ति एम टी जोशी की पीठ ने बुधवार को कहा कि बजाज फाइनेंस की याचिका के मामले में आए आदेश के अलावा इसमें ऋणदाताओं को और राहत नहीं दी जा सकती।
पीठ ने ऋणदाताओं से छह दिसंबर तक सेबी के पास नई याचिका देने को कहा है। सेबी का पूर्णकालिक सदस्य संबंधित पक्षों की दलों की दलीलें सुनने के बाद 12 दिसंबर तक अपना आदेश सुनाएगा।