नई दिल्ली। कर्नाटक में विधानसभा चुनाव तथा वृद्धि में तेजी के बीच अर्थव्यवस्था में नकदी का चलन एक बार फिर से तेजी से बढ़ा है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस समय अर्थव्यवस्था में नकदी का प्रवाह नोटबंदी से पहले के स्तर पर पहुंच गया है।
जापानी ब्रोकरेज फर्म नोमूरा की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि नकदी की मांग बढ़ने की प्रमुख वजह लेनदेन में तेजी और आगामी कर्नाटक विधानसभा चुनाव है। ब्रोकरेज कंपनी ने निराशा जताते हुए कहा कि उसे उम्मीद थी कि अर्थव्यवस्था को सकल घरेलू उत्पाद के 12 प्रतिशत के बराबर नकदी की कभी जरूरत नहीं होगी, जो स्थिति नोटबंदी से पहले थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि नकदी की जमाखोरी कम होने तथा डिजिटल भुगतान बढ़ने से अर्थव्यवस्था में नकदी घटाने में मदद मिलेगी, लेकिन मौजूदा समय में जो रुख दिख रहा है उससे ऐसी उम्मीदें पूरी होती नहीं दिख रही हैं।
यह कहा जा सकता है कि नकदी का प्रवाह एक बार फिर से अपने पुराने रंग में लौट आया है। रिपोर्ट कहती है कि अप्रैल में चलन में नकदी जीडीपी के 11.3 प्रतिशत पर पहुंच गई है, जो नोटबंदी से पहले का स्तर है। उस समय नकदी जीडीपी का 11.5 से 12 प्रतिशत थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017 में अर्थव्यवस्था में नकदी डालने की वजह से इसमें इजाफा हुआ। मौजूदा समय में कर्नाटक विधानसभा चुनाव की वजह से नकदी का प्रवाह बढ़ रहा है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए मतदान 12 मई को होना है। यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है जब कुछ दिन पहले नकदी संकट की स्थिति पैदा हो गई थी, जिसकी वजह से कई मूल्य के नोटों की छपाई पांच गुना बढ़ाई गई थी।