मुंबई। देश के प्रमुख परमाणु वैज्ञानिक और परमाणु ऊर्जा आयोग के पूर्व अध्यक्ष अनिल काकोदकर ने आज परमाणु बिजली परियोजनाओं पर सब्सिडी दिए जाने पर बल दिया ताकि यह कम लागत वाली सौर-ऊर्जा परियोजनाओं की बिजली से प्रतिस्पर्धा कर सके। काकोदकर ने यहां एक कार्यक्रम के दौरान कहा, ‘‘परमाणु ऊर्जा भी कार्बन प्रदूषण से मुक्त है। मेरी राय में परमाणु ऊर्जा भी उस तरह की सब्सिडी की पात्रता रखता है (जो सौर और पवन ऊर्जा को मिलती है) क्योंकि यह भी स्वच्छ ऊर्जा है।’’
उनसे सवाल किया गया था कि क्या सौर ऊर्जा परियोनाओं को सब्सिडी मिलने के कारण परमाणु बिजली के सामने चुनौतियां बढ़ तो नहीं रही हैं। उन्होंने कहा कि परमाणु ऊर्जा उद्योग को भी स्वच्छ ऊर्जा कोष से मदद मिलनी चाहिए। यह कोष प्रदूषणकारी उद्योगों पर विशेष शुल्क लगाकर जुटाया जाता है। उन्होंने कहा कि इस उद्योग को आसान शर्तों पर ऋण दिया जाना चाहिए क्योंकि इससे परमाणु बिजली की लागत बहुत कम हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि इस समय इस उद्योग के लिए स्थितियां कुछ स्पष्ट हुई हैं। सरकार ने शेयरपूंजी के जरिए मदद के लिए 3,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। इसके सहारे परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में 10,000 करोड़ रुपये का निवेश संभव हो सकेगा। देश में इस समय आठ परमाणु बिजलीघर चल रहे है। इनमें कुल 22 परमाणु भट्ठियां काम कर रही है। इनकी कुल स्थापित क्षमता 6,700 मेगावाट है। सरकार ने 2032 तक इसे 63,000 मेगावट तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।