नई दिल्ली। जून में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर 5.77 फीसदी रही, जो पिछले 22 माह का सबसे ऊंचा स्तर है। मई माह में महंगाई की यह दर 5.76 फीसदी थी। मंगलवार को केंद्रीय सांख्यिकी एवं क्रियान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक जून में जहां एक ओर रिटेल महंगाई बढ़ी है, वहीं इसके विपरीत मई में औद्योगिक उत्पादन में कमी आई है।
ब्याज दरों में कटौती की बढ़ी उम्मीद
जून माह में रिटेल महंगाई बढ़ने से जल्द ही आरबीआई गवर्नर पद से मुक्त होने वाले रघुराम राजन पर अगली मौद्रिक समीक्षा में ब्याज दरों में कटौती का दबाव और बढ़ गया है। जून माह की समीक्षा बैठक में गवर्नर रघुराम राजन ने बढ़ती मुद्रास्फीति दबाव का हवाला देते हुए नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया था, लेकिन यह संकेत दिया था कि इस साल यदि मानसून बेहतर रहता है तो मुद्रास्फीति नरम पड़ेगी जिससे ब्याजदरों में कटौती संभव होगी।
औद्योगिक उत्पादन में आई कमी
औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) में मई माह के दौरान सुस्ती रही। मई में आईआईपी 1.2 फीसदी बढ़ा, जबकि बीते साल समान महीने में इसकी ग्रोथ 2.5 फीसदी रही थी। मैन्युफैक्चरिंग, माइनिंग और इलेक्ट्रिसिटी सेक्टर में सुस्ती दर्ज की गई है।
खाने-पीने की चीजें महंगी हुईं
जून में सब्जियों की कीमतों पर कोई नियंत्रण नहीं दिखा और ये 14.47 फीसदी तक महंगी हुईं। मई में सब्जियों की महंगाई दर 10.77 फीसदी देखी गई थी। खाने-पीने की दूसरी चीजें भी महंगी हुईं। जून में फूड इनफ्लेशन 7.79 फीसदी रहा, जो मई में 7.47 फीसदी था।
हाउसिंग इनफ्लेशन भी बढ़ा
जून में हाउंसिंग इनफ्लेशन में भी बढ़ोतरी हुई। मई के 5.35 फीसदी के मुकाबले जून में हाउसिंग इनफ्लेशन 5.46 फीसदी दर्ज किया गया। क्लॉथ और फुटवियर इनफ्लेशन रेट 5.01 फीसदी दर्ज हुआ। ग्रामीण मुद्रास्फीति में कुछ गिरावट आई है और यह जून में 6.2 फीसदी रही। मई में यह 6.4 फीसदी थी। वहीं शहरी मुद्रास्फीति मई के 4.89 फीसदी के मुकाबले जून में 5.26 फीसदी रही।