नयी दिल्ली। जम्मू-कश्मीर ने केंद्र शासित प्रदेश के लगभग सभी 20 जिलों में 'अरोमा मिशन' (सुगंधित पादप मिशन) के तहत लैवेंडर की खेती में अग्रणी भूमिका निभाकर भारत में 'बैंगनी क्रांति' की शुरुआत की है। केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने शनिवार को यह बात कही। उन्होंने कहा कि विशेष रूप से कठुआ, उधमपुर, डोडा, रामबन, किश्तवाड़, राजौरी, श्रीनगर, पुलवामा, कुपवाड़ा, बांदीपोरा, बडगाम, गंदरबल, अनंतनाग, कुलगाम और बारामूला जिलों ने इस दिशा में एक बड़ी प्रगति हुई है।
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भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के 'अरोमा मिशन' (सुगंधित पादप मिशन) पर विशेष वेबिनार में मुख्य भाषण देते हुए सिंह ने कहा कि वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर में स्पष्ट पहुंच दिखाई देती है। उन्होंने कहा कि सीएसआईआर का अरोमा मिशन आजीविका और उद्यमिता के नए रास्ते पैदा कर रहा है।
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सिंह ने कहा कि भारत एक विशाल देश है और इसके विभिन्न हिस्सों या क्षेत्रों में समान तरह के संसाधन हैं, जिसका उपयोग सभी अंशधारकों द्वारा सबके लाभ के लिए किया जाना चाहिए। मंत्री ने देशभर से इनकी खेती के सर्वोत्तम तौर तरीकों के बारे में जानकारियों को साझा करने को राष्ट्रीय राजधानी में एक सम्मेलन आयोजित करने का सुझाव दिया। उन्होंने विभिन्न मंत्रालयों कृषि, पूर्वोत्तर क्षेत्र विभाग, शिक्षा और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण के घटकों को साथ मिलाकर अंतर-मंत्रालयी समितियां बनाने का सुझाव दिया।
नए जमाने के किसानों को 'एग्री-टेक्नोक्रेट' (कृषि प्रौद्योगिकी उन्मुख) बताते हुए, सिंह ने कहा कि सीएसआईआर के सुगंधित पादप मिशन ने किसानों के लिए ग्रामीण रोजगार पैदा किया है, सुगंधित तेलों और अन्य सुगंधित उत्पादों के निर्माण में उद्यमशीलता को बढ़ावा दिया है तथा जरूरी एवं सुगंधित तेलों के आयात को कम किया है। उन्होंने कहा कि आज सीएसआईआर के अरोमा मिशन के साथ 6,000 हेक्टेयर भूमि में महत्वपूर्ण औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती की जा रही है।