नई दिल्ली। दूरसंचार नियामक ट्राई ने दूरसंचार क्षेत्र में नया-नया प्रवेश करने वाली रिलायंस जियो और एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया जैसी क्षेत्र के पुराने कंपनियों के बीच प्वाइंट ऑफ इंटरकनेक्ट (कॉल को प्रवेश देने के मार्ग) पर विवाद का समाधान ढूंढने के लिए एक बैठक बुलाई है। एक आधिकारिक सूत्र ने बताया, इंटर कनेक्शन के मुद्दे पर ट्राई कल दूरसंचार सेवाप्रदाताओं के साथ बैठक करेगा। दूरसंचार सेवाप्रदाताओं के औद्योगिक संगठन सीओएआई ने प्रधानमंत्री कार्यालय को एक पत्र लिख कर कहा है कि मौजूदा सेवाप्रदाता ऐसी इंटरकनेक्ट सुविधा देने के लिए बाध्य नहीं है, जो गैर-प्रतिस्पर्धी हो। उसने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री कार्यालय से हस्तक्षेप करने की मांग करते हुए फिर से स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बहाल करने के लिए कहा है।
सीओएआई ने कहा है कि मौजूदा सेवाप्रदाताओं का नेटवर्क और वित्तीय संसाधन दोनों ही रूप से इस स्थिति में नहीं है, जो स्पष्ट रूप से विषम मात्रा में आने वाले (जियो के) ट्रैफिक को अपने नेटवर्क पर मुकाम तक पहुंचा सके। रिलायंस जियो ने अपनी सेवा की वाणिज्यिक शुरुआत पांच सितंबर से की है। उसका आरोप है कि एयरटेल और वोडाफोन जैसी कंपनियां उसके लिए पर्याप्त मात्रा में प्वाइंट ऑफ इंटरकनेक्ट नहीं दे रही हैं। इस पर सीओएआई के महानिदेशक राजन एस. मैथ्यू ने कहा कि जियो को इंटरकनेक्ट देने से पहले मौजूदा सेवाप्रदाताओं के लिए यह जानना आवश्यक है कि कंपनी वाणिज्यिक तौर पर चालू हुई है या नहीं। यदि वह चालू हो गई है तो वह किसी भी हालत में 90 दिन से ज्यादा की मुफ्त पेशकश नहीं कर सकती।
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मैथ्यू ने कहा, वह 90 दिनों से ज्यादा मुफ्त सेवा नहीं दे सकते। यदि जियो ने पांच सितंबर से परिचालन शुरू किया है तो उसे अपने ग्राहकों से 90 दिनों के बाद शुल्क लेना होगा। रिलायंस जियो ने अपनी सेवा शुरू करते हुए 31 दिसंबर तक मुफ्त सेवा देने का प्रस्ताव किया है जिसके बाद लोगों को टैरिफ दरों के आधार पर शुल्क देना होगा जिसमें मुफ्त वॉयस कॉल भी शामिल है। मैथ्यू ने कहा कि ट्राई को भी इंटरकनेक्शन शुल्क के मुद्दे को स्पष्ट करना होगा। ट्राई ने अभी इसे 14 पैसे पर तय किया है। उन्होंने कहा, यदि वह (जियो) 14 पैसे मुझे दे भी देता है तब भी दूरसंचार सेवाप्रदाताओं को 16 से 18 पैसे का नुकसान उठाना पड़ता है क्योंकि कॉल को गंतव्य तक पहुंचाने की लागत 32 पैसे है।
उन्होंने कहा ऐसे में जब जियो की ओर से ज्यादा ट्रैफिक होने लगता है तो नेटवर्क बाधित होने लगता है और दूरसंचार सेवाप्रदाताओं को कॉल की वरीयता तय करनी होती है क्योंकि स्पेक्ट्रम की एक निश्चित सीमा है और वह विषम परिस्थितियों का सामना करने के लिए तैयार नहीं है। दूरसंचार विभाग ने रिलायंस जियो और अन्य सेवाप्रदाताओं से इस मुद्दे को आपस में सुलझाने के लिए कहा है क्योंकि यह मामला ट्राई के दायरे में आता है और संबंधित पक्षों के बीच आपसी सहमति से निपटने का विषय है। जियो ने ट्राई के समक्ष कहा है कि वाणिज्यिक सेवा शुरू करने के लिए मोबाइल सेवा के लिए उसे 12,727 और एसटीडी कॉल की सुविधा के लिए 3,068 इंटरकनेक्ट आवश्यकता है। उसने शिकायत की है कि मौजूदा सेवा प्रदाता उसे पहले साल के लिए आवश्यक चार प्रतिशत से कम इंटरकनेक्ट पॉइंट मुहैया करा रहे हैं जिसकी वजह से उसकी 65 प्रतिशत कॉल अन्य शीर्ष तीन नेटवर्कों से जुड़ने में नाकाम रही हैं।
हालांकि सीओएआई ने कहा है कि सेवाप्रदाताओं ने जियो को उसके ग्राहक आधार से 10 गुना ज्यादा और पर्याप्त मात्रा में इंटरकनेक्ट पॉइंट उपलब्ध कराया है। उसके नेटवर्क में कल-की भीड़ संभवत: मुफ्त कॉल और डेटा सेवा की वजह से हो सकती है। जियो ने इस मामले में ट्राई से मौजूदा सेवाप्रदाताओं के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा है। इंटरकनेक्शन या पॉइंट ऑफ इंटरकनेक्ट वह सुविधा है जिसमें एक दूरसंचार सेवाप्रदाता दूसरे सेवाप्रदाता को उससे जुड़ने की सुविधा प्रदान करता है।