नई दिल्ली। जिंदल स्टेनलेस लिमिटेड (जेएसएल) ने सोमवार को बताया कि वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही में उसका मुनाफा 71.9 प्रतिशत घटकर 32.2 करोड़ रुपए रहा। कंपनी को पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 114.7 करोड़ रुपए का लाभ हुआ था। समीक्षाधीन तिमाही के दौरान कंपनी की एकल आय बढ़कर 3,260.10 करोड़ रुपए रही, जो एक साल पहले की समान तिमाही में 3,183.38 करोड़ रुपए थी।
कंपनी ने बताया कि सीडीआर (कॉर्पोरेट ऋण पुनर्गठन) ऋणदाताओं के कंसोर्टियम ने 31 मार्च 2019 से कंपनी को सीडीआर से बाहर निकलने की सहमति दे दी है, जिसे सम्बद्ध प्राधिकारों से आवश्यक अनुमति मिलनी बाकी है। मौजूदा दिशानिर्देश के मुताबिक 31 मार्च 2019 तक 191 करोड़ रुपए की क्षति-पूर्ति देनदारी तय की गई है। कंपनी ने 2018-19 की चौथी तिमाही में 57 करोड़ रुपए का वृद्धिपरक प्रावधान किया है।
जिंदल स्टेनलेस लिमिटेड के प्रबंध निदेशक अभ्युदय जिंदल ने कहा कि सीडीआर से बाहर निकलने से हमें अपनी वित्तीय और नेतृत्व की स्थिति और मज़बूत करने का मौका मिलेगा। अब हम सरकार की कुछ ऐसी नीतियों की आशा करते हैं जो भारतीय निर्माताओं को एक समतल स्तर प्रदान करें, अन्यथा एफटीए देशों से मुकाबला करने में भारतीय निर्माता असमर्थ रहेंगे। भारतीय निर्माता पहले से ही इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर के कारण हानि झेल रहे हैं। एफटीए देशों से आयात स्टेनलेस स्टील माल पर कोई शुल्क नहीं है। जबकि, भारतीय निर्माता स्टेनलेस स्टील स्क्रैप और फेरो-निकल पर 2.5 प्रतिशत इम्पोर्ट ड्यूटी देते हैं। ये दोनों ही स्टेनलेस स्टील उत्पाद के लिए मुख्य कच्चे माल हैं, और दोनों ही देश में उपलब्ध नहीं हैं।
सालाना बिक्री में 9 प्रतिशत और शुद्ध आय में 17 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। सब्सिडीशुदा आयात से मार्जिन पर दबाव पड़ने के बावजूद, जेएसएल वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान घरेलू स्टेनलेस स्टील बाज़ार में अपना नेतृत्व बरकरार रखने में कामयाब रही। हालांकि एबीट्डा मार्जिन पर दबाव रहा जिससे कंपनी का मुनाफ़ा प्रभावित हुआ। कंपनी का निवल मूल्य वित्त वर्ष 2017-18 के मुकाबले करीब 5 प्रतिशत बढ़कर 2,475 करोड़ रुपए रहा।