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गोल्‍ड हॉलमार्किंग के खिलाफ उठने लगी आवाज, ज्‍वेलर्स 23 अगस्‍त को करेंगे हड़ताल

ऐसा अनुमान है कि भारत में हर साल 10.12 करोड़ गोल्ड ज्वेलरी पीस बनाए जाते हैं। इसके अलावा 6-7 करोड़ पीस का मौजूदा स्टॉक भी हॉलमार्किंग के लिए बचा है।

Edited by: India TV Paisa Desk
Updated on: August 23, 2021 11:49 IST
Jewellers to go on token strike on Aug 23 against gold hallmarking- India TV Paisa
Photo:PTI

Jewellers to go on token strike on Aug 23 against gold hallmarking

नई दिल्‍ली। अनिवार्य गोल्‍ड हॉलमार्किंग (gold hallmarking) के खिलाफ ज्‍वेलर्स अब एकजुट होने लगे हैं। ऑल इंडिया जेम एंड ज्‍वेलरी डोमेस्टिक काउंसिल (जीजेसी) ने शुक्रवार को कहा कि देशभर के ज्‍वेलर्स सोने के गहनों की अनिवार्य हॉलमार्किंग को मनमाने ढंग से लागू करने के सराकर के फैसले के खिलाफ 23 अगस्‍त को हड़ताल करेंगे। जीजेसी ने दावा किया है कि इस हड़ताल को जेम एंड ज्‍वेलरी उद्योग के सभी चार क्षेत्रों के 350 एसोसिएशन और फेडरेशन का सहयोग प्राप्‍त है।

अनिवार्य गोल्‍ड हॉल‍मार्किंग को 16 जून से चरणबद्ध तरीके से लागू किया गया है। सरकार ने पहले चरण में अनिवार्य गोल्‍ड हॉलमार्किंग को लागू करने के लिए 28 राज्‍यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 256 जिलो की पहचान की है। कीमती धातु की शुद्धता का प्रमाण माने जाने वाला  गोल्‍ड हॉलमार्किंग अभी तक स्‍वैच्छिक था।

जीजेसी के पूर्व अध्‍यक्ष अशोक मीनावाला ने कहा कि एकदिवसीय सांकेतिक हड़ताल हॉलमार्क यूनिक आइडेंटिफ‍िकेशन नंबर (एचयूआईडी) को मनमाने ढंग से लागू करने के खिलाफ प्रदर्शन है, जिसका कार्यान्‍वयन अव्‍यावहारिक और असंभव है। मीनावाला सरकार द्वारा गठित कमेटी में ज्‍वेलर्स के प्रतिनिधि हैं और वह दानाभाई ज्‍वेलर्स ग्रुप के डायरेक्‍टर हैं।  

उन्‍होंने कहा कि ज्‍वेलर्स नए एचयूआईडी को स्‍वीकार्य नहीं कर सकते क्‍योंकि यह सोने की शुद्धता के बारे में कोई प्रमाण प्रदान नहीं करता है। बीआईएस का मानना है कि नया एचयूआईडी सोने की शुद्धता को बेहतर बनाएगा जबकि ज्‍वेलर्स का मानना है कि यह केवल उन पर निगरानी रखने का एक तंत्र है।

जीजेसी के डायरेक्‍टर दिनेश जैन ने कहा कि एचयूआईडी सिस्‍टम में बहुत अधिक समय बर्बाद होता है। उन्‍होंने कहा कि हॉलमार्किंग केंद्रों की मौजूदा रफ्तार और क्षमता प्रतिदिन दो लाख पीस की है। इस रफ्तार पर, इस साल के उत्‍पादन के लिए हॉलमार्क लेने में हमें 3 से 4 साल का वक्‍त लग जाएगा। मौजूदा नया एचयूआईडी सिस्‍टम गहनों पर हॉलमार्क लगाने में लगभग 5 से 10 दिन का समय ले रहा है जिसके परिणामस्‍वरूप उद्योग में कामकाज पूरी तरह से रुक सा गया है। कई टन आभूषण मौजूदा हॉलमार्किंग प्रक्रिया के चलते पाइपलाइन में फंसे पड़े हैं।

ऐसा अनुमान है कि भारत में हर साल 10.12 करोड़ गोल्‍ड ज्‍वेलरी पीस बनाए जाते हैं। इसके अलावा 6-7 करोड़ पीस का मौजूदा स्‍टॉक भी हॉलमार्किंग के लिए बचा है। ज्‍वेलर्स का आरोप ळै कि एचयूआईडी कोई फुल-प्रूफ सिस्‍टम नहीं है क्‍योंकि एक ही पीस के लिए डबल एचयूआईडी, विभिन्‍न ज्‍वेलरी के लिए एक ही एचयूआईडी जैसे कई मुद्दे सामने आ रहे हैं।   

मुंबई थोक गोल्‍ड ज्‍वेलरी एसोसिएशन के अध्‍यक्ष प्रकाश कगरेछा ने कहा कि ज्‍वेलर्स ने हॉलमार्किंग का स्‍वागत किया था और 88000 ज्‍वेलर्स ने इसके लिए अपना रजिस्‍ट्रेशन भी कराया है जो यह दिखाता है कि ज्‍वेलर्स उपभोक्‍ताओं के प्रति प्रतिबद्ध हैं। हालांकि हॉलमार्किंग केंद्रों की संख्‍या को कम कर दिया गया। 83 केंद्रों को या तो रद्द या निरस्‍त कर दिया गया।

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