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अनिश्चितकालीन हड़ताल पर ज्वैलर्स, छह दिन में 10,000 करोड़ के कारोबार का नुकसान

ज्वैलर्स पिछले छह दिनों से हड़ताल पर हैं, जिसके कारण अब तक 10,000 करोड़ का नुकसान हो चुका है। अब हड़ताल को अनिश्चितकाल के लिए जारी रखने का फैसला किया है।

Abhishek Shrivastava
Updated on: March 08, 2016 15:37 IST
अनिश्चितकालीन हड़ताल पर ज्वैलर्स, छह दिन में 10,000 करोड़ के कारोबार का नुकसान- India TV Paisa
अनिश्चितकालीन हड़ताल पर ज्वैलर्स, छह दिन में 10,000 करोड़ के कारोबार का नुकसान

मुंबई। सरकार के मामले पर गौर करने के आश्वासन के बावजूद ज्वैलर्स ने हड़ताल को अनिश्चितकाल के लिए जारी रखने का फैसला किया है। ज्वैलर्स पिछले छह दिनों से हड़ताल पर हैं, जिसके कारण अब तक 10,000 करोड़ रुपए के कारोबार का नुकसान होने का अनुमान है। बुलियन ट्रेडर्स बजट में सोने और चांदी के कीमती ज्वैलरी पर एक फीसदी एक्साइज ड्यूटी लगाने का विरोध कर रहे हैं।

अनिश्चितकाल हड़ताल पर गए ज्वैलर्स

अखिल भारतीय रत्न एवं आभूषण महासंघ (जीजेएफ) के अध्यक्ष श्रीधर जी वी ने कहा, हमने जीजेएफ से संबद्ध 358 से अधिक संगठनों से मुलाकात की है जिसमें तीन लाख विनिर्माता, कारीगर के अलावा कई अन्य लोग शामिल हैं जिन्होंने सामूहिक रूप से हड़ताल को अनिश्चितकाल के लिए जारी रखने का फैसला किया है। हड़ताल तब तक जारी रहेगी जब तक कि हमें सरकार की ओर से कोई सकारात्मक घोषणा सुनने को नहीं मिलती। उन्होंने कहा कि रत्न एवं आभूषण उद्योगों के लिए तैयार किये गए उत्पाद शुल्क दिशानिर्देश व्यावहारिक रूप से लागू करने योग्य नहीं है। इन दिशानिर्देशों के बने रहने से यह उद्योग के लिये घातक होगा।

एक्साइज ड्यूटी के प्रस्ताव को वापस लेने की मांग

श्रीधर जी वी ने कहा, हम सरकार से इस प्रस्ताव को वापस लेने की अपील करते हैं। हम तब तक अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे जब तक सरकार हमारे नजरिए को ध्यान में नहीं लेती है और अनुकूल प्रतिक्रिया नहीं देती। श्रीधर ने कहा, हम सरकार से प्रस्ताव को वापस लेने का आग्रह करते हैं। हमारा विरोध तब तक जारी रहेगा जब तक कि सरकार हमारी मांगों पर गौर नहीं करती और सकारात्मक कदम नहीं उठाती है। आभूषण विक्रेता दो मार्च से हड़ताल पर हैं और वे बजट 2016-17 में सोने और चांदी के रत्न जड़ित आभूषणों पर एक फीसदी उत्पाद शुल्क लगाने और दो लाख और उससे अधिक की खरीददारी पर ग्राहकों के लिए स्थायी खाता संख्या (पैन) दर्ज करना अनिवार्य करने के प्रस्ताव के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

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