एक समय देश की सबसे बड़ी प्राइवेट एयरलाइन रही जेट एयरवेज ने बुधवार रात अपनी आखिरी उड़ान भरी। भारी वित्तीय संकट से जूझ रही जेट की आखिरी हवाई सेवा अमृतसर से मुंबई के बीच रही। जेट एयरवेज ने बुधवार रात से अस्थाई तौर पर अपनी सभी उड़ानों को सस्पेंड करने का फैसला किया है। पिछले एक दशक में किंगफिशर के बाद कामकाज बंद करने वाली जेट दूसरी कंपनी बन गई है। विजय माल्या की किंगफिशर ने साल 2012 में कामकाज बंद किया था।
कंपनी के पास उड़ानों के संचालन के लिए जरूरी कैश खत्म हो गया है और बैंकों ने उसे और कर्ज देने से इनकार कर दिया है। जेट की इस हालत से कंपनी के 16,000 स्थाई और 6,000 कॉन्ट्रैक्चुअल कर्मचारियों के भविष्य पर सवाल खड़े हो गए हैं। जेट एयरवेज की शुरुआत 1993 में हुई थी। एक दिन में 650 फ्लाइट्स का परिचालन करने वाली जेट एयरवेज का पूरा भविष्य अब कर्जदाताओं पर है।
अब नए खरीदार का इंतजार
नरेश गोयल की जेट एयरवेज को अब अपने नए खरीदार का इंतजार है। अपनी सेवाएं बंद करने से पहले आखिरी कोशिश के तहत जेट ने मंगलवार को एसबीआई की अगुआई वाले कर्जदाताओं से 983 करोड़ रुपये के इमरजेंसी फंड की मांग की थी। जेट ने बुधवार रात अस्थाई तौर पर अपनी सेवाएं बंद करने का ऐलान करते हुए बीएसई की फाइलिंग में लिखा, 'बैंकों या किसी अन्य जरिये से कोई इमरजेंसी फंडिंग नहीं आ रही है। हमारे पास कामकाज जारी रखने के लिए तेल खरीदने या किसी अन्य सेवा के लिए भुगतान करने लायक पैसा भी नहीं है। इसलिए जेट तुरंत अपनी सारी इंटरनेशनल और डोमेस्टिक फ्लाइट्स बंद करने पर मजबूर हो गई है। आखिरी फ्लाइट बुधवार को उड़ान भरेगी।'
मुंबई से शुरू मुंबई पर खत्म
जेट एयरवेज का सफर 5 मई, 1993 को में मुंबई से अहमदाबाद की उड़ान के साथ शुरू हुआ था, करीब 26 साल के सफर के बाद कंपनी ने अपनी आखिरी उड़ान भी अमृतसर से मुंबई के बीच ही थी।
नवंबर से बिगड़े हालात
पिछले नवंबर तक जेट के पास बोइंग 777 और एयरबस ए330, सिंगल बी737 और टर्बोप्रॉप एटीआर के साथ कुल 124 एयरक्राफ्ट थे। कंपनी हर दिन करीब 600 फ्लाइट्स ऑपरेट कर रही थी। अंतरराष्ट्रीय और घरेलू उड़ानों के मामले में जेट एयरवेज देश की सबसे बड़ी एयरलाइंस में से एक थी।