मुंबई। वित्तीय संकट से जूझ रही जेट एयरवेज के विमानों के परिचालन से बाहर होने का सिलसिला जारी है। कंपनी ने मंगलवार को बताया कि विमान पट्टे का किराया नहीं चुका पाने के चलते उसे 15 और विमान खड़े करने पड़े हैं। इस तरह उसके कुल 69 विमान अब तक परिचालन से बाहर हो चुके हैं।
अब कंपनी के बेड़े के सिर्फ 20 विमान ही नियमित परिचालन में इस्तेमाल किए जा रहे हैं। विमानन कंपनी ने किराया चुकाने में चूक करने के चलते मार्च अंत तक कुल 54 विमानों को परिचालन से हटा दिया था।
जेट एयरवेज ने शेयर बाजारों को दी सूचना में कहा कि विमानों को पट्टे पर देने वाली कंपनियों का बकाया नहीं चुका पाने के चलते 15 और विमानों को खड़ा कर दिया गया है। पिछले सप्ताह कंपनी ने सरकार को बताया था कि उसके 35 विमान परिचालन में हैं।
उल्लेखनीय है कि जेट एयरवेज के निदेशक मंडल ने 25 मार्च को भारतीय स्टेट बैंक की अगुवाई में तैयार ऋणदाताओं की समाधान योजना को मंजूरी दी थी। इस योजना के तहत ऋणदाता कंपनी का नियंत्रण अपने हाथों में लेने और उसमें 1,500 करोड़ रुपए की पूंजी डालने का फैसला किया था।
पायलटों ने डीजीसीए, प्रबंधन को पत्र लिखकर बकाया वेतन पर मांगा ब्याज
जेट एयरवेज के घरेलू पायलटों के यूनियन नेशनल एवियटर्स गिल्ड (एनएजी) ने समय पर वेतन के साथ बकाया वेतन पर ब्याज देने की मंगलवार को मांग की। संगठन ने कहा कि पायलटों के विमान उड़ाने के लिहाज से मौजूदा स्थिति आदर्श नहीं है।
नागर विमानन के महानिदेशक बीएस भूल्लर और जेट एयरवेज के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विनय दूबे को दो अलग-अलग पत्र लिखकर गिल्ड ने कहा है कि उन्हें अपने ईएमआई और अन्य वित्तीय प्रतिबद्धताएं पूरे करने में दिक्कत आ रही है। अपनी प्रस्तावित हड़ताल को टालने के दो दिन बाद गिल्ड के अध्यक्ष करण चोपड़ा ने मंगलवार को ये पत्र लिखे।
चोपड़ा ने कहा कि वेतन का भुगतान नहीं होने के कारण हम बहुत अधिक तनाव और निराशा के दौर से गुजर रहे हैं, जो विमान उड़ाने के लिहाज से किसी भी पायलट के लिए आदर्श स्थिति नहीं है। ईएमआई, स्कूल और कॉलेज की फीस और हमारे बुजुर्ग माता-पिता के मेडिकल बिल का भुगतान किया जाना है।