नई दिल्ली। जेट एयरवेज की 75 प्रतिशत हिस्सेदारी को खरीदने के लिए उसके कर्मचारियों के एक समूह और आदि ग्रुप ने मिलकर बोली लगाने की शुक्रवार को घोषणा की। यह जेट एयरवेज को खरीदने की अपने तरह की पहली ऐसी पहल है।
कर्ज के बोझ से दबी जेट एयरवेज देश की पहली ऐसी विमानन कंपनी है, जो एनसीएलटी की प्रक्रिया का सामना कर रही है। एनसीएलटी में कंपनी के खिलाफ भारतीय स्टेट बैंक ने 26 अन्य ऋणदाताओं की ओर से 20 जून को दिवाला एवं शोधन अक्षमता प्रक्रिया शुरू करने की याचिका दायर की थी। जेट एयरवेज पर बैंकों का करीब 8500 करोड़ रुपया और वेंडरों, पट्टा देने वालों और कर्मचारियों इत्यादि का 25,000 करोड़ रुपया बकाया है।
कर्मचारियों के समूह और आदि ग्रुप ने एक बयान के माध्यम से इस साझेदारी की घोषणा की। संयुक्त बयान में कहा गया है कि यह भारतीय विमानन उद्योग के इतिहास में एक नए सवेरे की शुरुआत है। यह पहली बार होगा जब किसी विमानन कंपनी का प्रत्येक कर्मचारी उसका मालिक होगा और उसका परिचालन भी कर रहा होगा। यह प्रधानतंत्री नरेंद्र मोदी के सपने सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के जैसा है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोइंग 777 कमांडर, सोसाएटी फॉर वेलफेयर ऑफ इंडियन पायलेट्स और जेट के सबसे वरिष्ठ पायलेट जो 18 सालों से एयरलाइन के साथ हैं, कैप्टन अश्वनी त्यागी ने कहा कि एयरलाइन उनके लिए एक परिवार की तरह है और जेट एयरवेज को दोबारा खड़ा करने के लिए यह यात्रा चुनौतीभरी और रोमांचक है।