कोलकाता। पश्चिम बंगाल में जूट आयुक्त कार्यालय ने मंगलवार को जूट मिलों को छोड़कर कच्चे जूट का कोई भी भंडार नहीं रखने का आदेश दिया। राज्य सरकार द्वारा जमाखोरों के खिलाफ सख्त अभियान चलाने के निर्देश के बाद यह आदेश दिया गया है। राज्य सरकार ने जूट मिलों के लिए कच्चे माल की उपलब्धता सुगम बनाने के लिए उक्त निर्देश दिया था। कच्चे माल की कमी के कारण करीब 16 जूट मिलें बंद हो गई थीं, जिससे 50,000 कामगार बेरोजगार हो गए थे।
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राज्य के श्रम मंत्री बेचाराम मन्ना ने शुक्रवार को जूट आयुक्त को 10 जून तक जमाखोरी के खिलाफ अभियान चलाने को कहा था। मंत्री ने कहा कि सरकार का मानना है कि लगभग पांच प्रतिशत फसल अभी भी विक्रेताओं और स्टॉकिस्टों के पास है जो अधिक कीमत के इंतजार में हैं। जूट आयुक्त के एक आदेश में कहा गया है, "सारे जूट को किसानों/बिचौलियों/विक्रेताओं द्वारा 10 जून से पहले अनुबंधित किया जाना चाहिए। 25 जून के बाद मिलों के बाहर किसी भी गोदाम में जूट पाए जाने पर कारावास सहित सख्त कार्रवाई की जाएगी।" कोई भी मिल 25 जून से 20 जुलाई के बीच डिलिवरी नहीं लेंगी।
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जूट मिल के सूत्रों ने कहा, "यह देर से की गई कार्रवाई है और इसका नतीजा निकलने की संभावना नहीं है। कच्चे जूट की कीमतें 9500 रुपये प्रति क्विंटल को पार कर गई हैं, जो सामान्य समय की तुलना में लगभग 95 प्रतिशत अधिक है।" राज्य सरकार ने मांग को पूरा करने के लिए पर्यावरण अनुकूल इस खाद्यान्न पैकेजिंग सामग्री के उत्पादन में तेजी लाने के लिए पहले के 30 प्रतिशत के स्थान पर प्रत्येक जूट मिल में पाली में काम करने वाले श्रमिकों की अधिकतम संख्या 40 प्रतिशत करने की अनुमति दी है।