नयी दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनबीसीसी लिमिटेड ने दिवाला प्रक्रिया से गुजर रही जेपी इंफ्राटेक के अधिग्रहण के लिये रविवार को नयी बोली सौंपी। कंपनी ने अपनी बोली को अधिक आकर्षक बनाते हुए इसमें कर्जदाता बैंकों को पहले के 950 एकड़ के बजाय 1,426 एकड़ भूमि और 3,000 बेनामी फ्लैट में से आधे उन्हें देने की पेशकश की है। सूत्रों ने यह जानकारी दी है। जेपी इंफ्राटेक अधिग्रहण के लिये बोली लगाने वाली दूसरी कंपनी सुरक्षा रीयल्टी ने भी रविवार को अपनी संशोधित बोली समाधान पेशेवर को सौंप दी। कंपनी ने अपनी बोली में 7,857 करोड़ रुपए की 1,934 एकड़ जमीन देने और अगले तीन साल में निर्माण कार्य पूरा करने के लिए 2,000 करोड़ रुपए की कार्यशील पूंजी लाने का प्रस्ताव किया है।
उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद जेपी इंफ्राटेक के अंतरिम मसाधान पेशेवर अनुज जैन ने सुरक्षा रीयल्टी और एनबीसीसी को अपनी संशोधित बोलियां सौंपने को कहा था। ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) इन बोलियों पर विचार करेगी। सीओसी की बैठक सोमवार को होने वाली है जिसमें इन दोनों समाधान योजनाओं पर विचार किया जायेगा। सूत्रों का कहना है कि एनबीसीसी ने वित्तीय ऋणदाताओं को पहले की बोली में प्रस्तावित 950 एकड़ के बजाय अब 5,000 करोड़ रुपए मूल्य की 1,426 एकड़ भूमि देने की पेशकश की है। इसके अलावा कंपनी ने जेपी इंफ्राटेक को हस्तांतरित की जाने वाली 858 एकड़ भूमि में से भी 75 प्रतिशत बैंकरों को देने की पेशकश की है जिसका मूल्य 1,000 करोड़ रुपए आंका गया है।
सूत्रों का कहना है कि जेपी इंफ्राटेक के पास करीब 3,000 बेनामी फ्लैट हैं जिनका कोई दावेदार नहीं है। एनबीसीसी इसमें से 50 प्रतिशत फ्लैट बैंकों को देने को तैयार है। इन फ्लैट का मूल्य 2,500 करोड़ रुपए रहने का अनुमान है। उच्चतम न्यायालय ने छह नवंबर को दिये अपने फैसले में जेपी इंफ्राटेक की दिवाला प्रक्रिया को 90 दिन के भीतर पूरा करने का आदेश दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि संशोधित बोलियां केवल एनबीसीसी और सुरक्षा रीयल्टी से ही मंगाई जानी चाहिए।