नई दिल्ली। भारी कर्ज में डूबी और संकटग्रस्त रियल एस्टेट कंपनी जेपी समूह नोएडा में अपने अधर में लटके 24 हजार फ्लैट को करीब आठ हजार करोड़ रुपए के खर्च से 2020 तक बनाने व उपभोक्ताओं को उन्हें मुहैया कराने का लक्ष्य तय किया है। कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आज इसकी जानकारी दी।
कंपनी के सलाहकार अजीत कुमार ने कहा कि जेपी समूह को अधूरे फ्लैट पूरा करने के लिए आठ हजार करोड़ रुपए की जरूरत है। इनमें से छह हजार करोड़ रुपए फ्लैट खरीदारों से जुट जाएंगे, जबकि अन्य दो-ढाई हजार करोड़ के इंतजाम की जरूरत होगी।
कंपनी ने नोएडा के विश टाउन में 2007 में 32 हजार फ्लैट बनाने की शुरुआत की थी। उसने अब तक ग्राहकों को आठ हजार फ्लैट दे दिए हैं। कुमार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट व राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण के आदेशानुसार हम 2020 तक 32 हजार इकाइयां बनाने और उपभोक्ताओं को देने के लिए प्रयासरत हैं।
उन्होंने कहा कि ग्रुप अभी तक 6300 फ्लैट्स और 1500 प्लॉट का पजेशन दे चुका है और अब हमारा लक्ष्य इस साल जून तक 5000 यूनिट को हैंडओवर करने का है। उन्होंने कहा कि फ्लैट का पजेशन देने में हुई देरी के लिए कंपनी ग्राहकों को मुआवजे का भी भुगतान कर रही है। कुमार ने कहा कि बैंकों का बकाया चुकाने के लिए जेपी ग्रुप के पास पर्याप्त संपत्ति है, जिसमें खाली पड़ी जमीन भी शामिल है। कुमार ने बताया कि जेपी ग्रुप वर्तमान में हर माह 20-30 करोड़ रुपए निर्माण कार्य में लगा रहा है। यह राशि यमुना एक्सप्रेस वे के टोल कलेक्शन और घर खरीदारों से हासिल की जा रही है।