Highlights
- संसदीय समिति के समक्ष क्रिप्टो एक्सचेंज, ब्लॉक चेन एवं बीएसीसी, हितधारक क्रिप्टो वित्त पर अपनी राय देंगे।
- समिति ने इंडिया इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रतिनिधियों को भी बुलाया है।
- सरकार को पता है कि यह एक विकसित हो रही तकनीक है। वह इस पर कड़ी नजर रखेगी और सक्रिय कदम उठाएगी।
नई दिल्ली। भारत में क्रिप्टोकरेंसी के भविष्य को लेकर भाजपा नेता और पूर्व वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति के समक्ष सोमवार को क्रिप्टो एक्सचेंजों, ब्लॉक चेन एवं क्रिप्टो एसेट्स काउंसिल (बीएसीसी), उद्योग निकायों और अन्य हितधारकों के प्रतिनिधि क्रिप्टो वित्त पर अपनी राय देंगे। वित्त पर संसद की स्थायी समिति द्वारा इस विषय पर बुलाई जाने वाली यह पहली बैठक होगी। क्रिप्टो वित्त को लेकर निवेश क्षमता और जोखिमों के बारे में विभिन्न पक्षों की दिलचस्पी और चिंताएं हाल के दिनों में तेजी से बढ़ी हैं। यह संसदीय समिति आईआईएम अहमदाबाद के शिक्षाविदों से भी सुझाव लेगी।
सोमवार दोपहर में होने वाली यह बैठक इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विभिन्न मंत्रालयों और आरबीआई के अधिकारियों के साथ क्रिप्टोकरेंसी के मुद्दे पर एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की थी। समिति के अध्यक्ष और पूर्व वित्त राज्य मंत्री सिन्हा ने बैठक के बारे में कहा कि क्रिप्टो वित्त से संबंधित उन अवसरों और चुनौतियों पर चर्चा की जाएगी, जिसका सामना तेजी से विकसित हो रहे उद्योग के चलते नियामकों और नीति निर्माताओं को करना होगा। सिन्हा ने कहा कि हमने प्रमुख एक्सचेंजों के परिचालकों, सीआईआई के सदस्यों के साथ ही भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) अहमदाबाद के शिक्षाविदों सहित पूरे उद्योग के हितधारकों को बुलाया है, जिन्होंने क्रिप्टो वित्त पर बहुत गहन अध्ययन किया है। उन्होंने आगे कहा कि समिति ने इंडिया इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रतिनिधियों को भी बुलाया है।
क्रिप्टोकरेंसी के लिए बनेगा मजबूत नियामक
क्रिप्टोकरेंसी में निवेश पर भारी रिटर्न के भ्रामक दावों पर चिंताओं के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को इस मुद्दे पर भावी रुख की दिशा तय करने के लिए आयोजित एक बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस तरह के अनियंत्रित बाजारों को धन शोधन और आतंकी वित्त पोषण का जरिया नहीं बनने दिया जा सकता। उन्होंने संकेत दिया कि इस संबंध में जल्द ही मजबूत नियामक उपाए किए जाएंगे।
सरकार को पता है कि यह एक विकसित हो रही तकनीक है। वह इस पर कड़ी नजर रखेगी और सक्रिय कदम उठाएगी। इस बात पर भी सहमति थी कि सरकार द्वारा इस क्षेत्र में उठाए गए कदम प्रगतिशील और आगे की सोच रखने वाले होंगे। सरकार विशेषज्ञों और अन्य हितधारकों के साथ सक्रिय रूप से जुड़कर काम करेगी। चूंकि यह विषय भौगोलिक सीमाओं से परे है, इसलिए यह महसूस किया गया कि इसके लिए वैश्विक भागीदारी और सामूहिक रणनीतियों की भी जरूरत होगी।
आरबीआई, वित्त मंत्रालय, गृह मंत्रालय ने इस पर विस्तृत विचार-विमर्श किया और साथ ही देश एवं दुनिया भर के विशेषज्ञों से सलाह भी ली गई और दुनिया भर की सर्वोत्तम परंपराओं एवं उदाहरणों को संज्ञान में लिया गया। आरबीआई ने क्रिप्टोकरेंसी के खिलाफ अपनी दृढ़ राय को बार-बार दोहराते हुए कहा है कि इससे देश की व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता को गंभीर खतरा पैदा हो सकता है। केंद्रीय बैंक ने इनके बाजार मूल्य पर भी संदेह जताया है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने गत बुधवार को ही क्रिप्टोकरेंसी को अनुमति देने के खिलाफ अपने विचारों को दोहराते हुए कहा था कि ये किसी भी वित्तीय प्रणाली के लिए एक गंभीर खतरा हैं, क्योंकि वे केंद्रीय बैंकों द्वारा नियंत्रित नहीं हैं। क्रिप्टोकरेंसी पर आरबीआई की आंतरिक पैनल की रिपोर्ट अगले महीने आने की उम्मीद है। उच्चतम न्यायालय ने मार्च 2020 की शुरुआत में क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने वाले आरबीआई के परिपत्र को रद्द कर दिया था। इसके बाद पांच फरवरी 2021 को केंद्रीय बैंक ने इस डिजिटल मुद्रा के मॉडल पर सुझाव देने के लिए एक आंतरिक समिति का गठन किया था।
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