नई दिल्ली। देश में कैलेंडर वर्ष की शुरुआत कंपनियों में विलय-अधिग्रहण के मामले में काफी मजबूती के साथ हुई है। जनवरी माह में विलय एवं अधिग्रहण से जुड़े करीब 2.3 अरब डॉलर के सौदे हुए हैं जो कि एक साल पहले इसी माह में हुए सौदों के मुकाबले तीन गुणा अधिक राशि है।
- कर एवं सलाहकार फर्म ग्रांट थॉंर्टन के मुताबिक इस साल जनवरी में 236 करोड़ 40 लाख डॉलर मूलय के 45 विलय एवं अधिग्रहण सौदे हुए हैं।
- जनवरी 2016 में इस तरह के 82.70 करोड डॉलर के 42 सौदे हुए थे।
- कंपनी के मुताबिक सौदों के आकार और उनकी संख्या दोनों मामलों में इस साल होने वाली वृद्धि मुख्यतौर पर घरेलू बाजार में बड़े पैमाने पर होने वाले सुदृढीकरण की वजह है।
- आने वाले समय में विलय एवं अधिग्रहण सौदों में सकारात्मक रूख बने रहने की उम्मीद है।
ग्रांट थॉर्नटन इंडिया एलएलपी के भागीदार प्रशांत मेहरा ने कहा, जीएसटी को लेकर जारी मतभेद और नोटबंदी के कारण जो शुरुआती उथल पुथल चल रही थी वह अब थम चुकी है अब जबकि विकासोन्मुखी बजट पेश किया गया है। घरेलू खपत और गतिविधियों में होने वाली वृद्धि को देखते हुए आने वाले समय में मजबूती बनी रहेगी।
- मेहरा ने कहा, इससे घरेलू अर्थव्यवस्था में विलय एवं अधिग्रहण और निवेश प्रवाह बेहतर होने की उम्मीद है।
- जनवरी माह में जितने भी विलय एवं अधिगहण हुए उनमें उर्जा, प्राकतिक संसाधन क्षेत्र का कुल सौदों में 55 प्रतिश तक योगदान रहा है।
- स्टार्टअप की इन सौदों में प्रमुख भूमिका रही है और कुल सौदों में 22 प्रतिशत योगदान उनका रहा है।
- ओएनजीसी द्वारा गुजरात राज्य पेट्रोलियम कार्पोरेशन की कृष्णा गोदावसी बेसिन गैस ब्लाक में 1.2 अरब डॉलर का सौदा माह का सबसे बड़ा अधिग्रहण सौदा है।