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जेब पर भारी पड़ रहे हैं शून्य बैलेंस वाले सेविंग खाते, जानिए कितना शुल्क वसूल रहे हैं बैंक

भारतीय रिजर्व बैंक ने सितंबर 2013 में स्पष्ट निर्देश दिया था कि ऐसे खाताधारकों को एक महीने में चार बार से ज्यादा निकासी की अनुमति होगी। बैंक ऐसे लेनदेन पर शुल्क नहीं ले सकते। 

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: April 12, 2021 9:21 IST
जीरो बैलेंस BSBD खातों पर...- India TV Paisa
Photo:PTI

जीरो बैलेंस BSBD खातों पर वसूले करोड़ों रुपये

नई दिल्ली। गरीब खाताधारकों को बैंकिंग सेवाएं मुहैया कराने वाले जीरो बैंलेंस खाते ज्यादा ट्रांजेक्शन करने पर खाताधारकों की जेब पर ही भारी पड़ रहे हैं। आईआईटी बॉम्बे के द्वारा किए गए एक सर्वे की माने तो इन बेसिक सेविंग खातों के जरिए एसबीआई ने 2015-2020 के बीच अपने खाताधारकों से 300 करोड़ रुपये से ज्यादा वसूल लिए हैं। रिपोर्ट में इस तरह से शुल्क जुटाने को रिजर्व बैंक के नियमों का उल्लंघन बताया गया है।

रिपोर्ट में किन खातों का है जिक्र

आईआईटी बॉम्बें ने बुनियादी बचत बैंक जमा खातों ( BSBDA- Basic savings bank deposit accounts) पर अपना सर्वे किया है। इसमें जन धन योजना के तहत जारी किए गए खाते शामिल हैं। सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक इन खातों से एक महीने में सिर्फ 4 बार मुफ्त में कैश निकाला जा सकता है, बैंकों ने इससे ज्यादा कैश की निकासी पर कई तरह के मनमाने शुल्क लगाए हैं, जिससे बैंकों को करोड़ो रुपये की कमाई हुई है। वहीं 4 बार से ज्यादा कैश निकालने पर ग्राहकों को शुल्क चुकाना पड़ा है।

सर्वे में बताया गया है कि एसबीआई ने जीरो बैलेंस वाले खाताधारकों यानी बुनियादी बचत बैंक जमा खाता (बीएसबीडीए) धारकों के चार बार से ज्यादा पैसे निकालने पर हर बार 17.70 रुपये का शुल्क लेने का निर्णय लिया था। अध्ययन करने वाले आईआईटी बॉम्बे के प्रोफेसर आशीष दास के मुताबिक ये शुल्क वसूल करना रिजर्व बैंक के नियम का सुनियोजित उल्लंघन है। खास बात है कि गरीबों के जीरो बैलेंस वाले सबसे ज्यादा खाते एसबीआई के पास ही हैं। उन्होंने कहा कि सेवा शुल्क के नाम पर ऐसे खाताधारकों से वसूली अनुचित है। 

बैंकों ने वसूली कितनी रकम

सर्वे के मुताबिक 4 बार से ज्यादा कैश निकालने पर शुल्क की वजह से एसबीआई ने 2015 से 2020 के बीच करीब 12 करोड़ बुनियादी खाताधारकों से 300 करोड़ रुपये से ज्यादा वसूले हैं। वहीं, भारत के दूसरे सबसे बड़े बैंक पीएनबी ने इसी अवधि में 3.9 करोड़ गरीब खाताधारकों से 9.9 करोड़ रुपये वसूल किए हैं। अध्ययन में कहा गया है कि एसबीआई ने बीएसबीडीए खाताधारकों से रोजमर्रा के कैशलेस डिजिटल लेनदेन की सेवा पर भी मोटा शुल्क वसूला। उन्होंने कहा कि देश में जहां डिजिटल लेनदेन को जोरशोर से बढ़ावा दिया जा रहा है, वहीं एसबीआई ऐसे लोगों से शुल्क वसूल कर उन्हें हतोत्साहित कर रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक ने सितंबर 2013 में स्पष्ट निर्देश दिया था कि ऐसे खाताधारकों को एक महीने में चार बार से ज्यादा निकासी की अनुमति होगी। बैंक ऐसे लेनदेन पर शुल्क नहीं ले सकते।

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