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जनधन खाते बैंकों के लिए बने मुसीबत!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनधन योजना की शुरुआत बड़े जोर-शोर से की थी, लेकिन अब यही जनधन खाते बैंकों के लिए मुसीबत का सबब बन गए हैं।

Dharmender Chaudhary
Updated : April 08, 2016 13:41 IST
Jan-Dhan Yojana: चार करोड़ से अधिक खातों में एक भी रुपए नहीं, बैंक अधिकारी अपनी जेब से पैसा डालने को मजबूर
Jan-Dhan Yojana: चार करोड़ से अधिक खातों में एक भी रुपए नहीं, बैंक अधिकारी अपनी जेब से पैसा डालने को मजबूर

लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनधन योजना की शुरुआत बड़े जोर-शोर से की थी, लेकिन अब यही जनधन खाते बैंकों के लिए मुसीबत का सबब बन गए हैं। बैंक अधिकारियों के मुताबिक, जीरो बैलैंस पर खाते खोले गए, लेकिन एक भी पैसा जमा नहीं हुआ। खातों को एक्टिव रखने का दबाव बैंकों पर इस कदर है कि अपनी जेब से पैसे डालकर जीरो बैलेंस का ठप्पा हटाया जा रहा है।

चार करोड़ से ज्यादा खातों में एक भी पैसा नहीं

भारतीय स्टेट बैंक के एक अधिकारी ने बताया, “दो लाख रुपए की बीमा और पांच हजार रुपए के ओवरड्राफ्ट के लालच में पूरे देश में 11 करोड़ से ज्यादा जनधन खाते खुल चुके हैं। इनमें से चार करोड़ से ज्यादा खातों में एक भी पैसा नहीं है।” अधिकारी ने बताया कि जीरो बैलेंस होने की वजह से उन खातों को न तो बीमा का लाभ मिल रहा है और न ही ओवरड्राफ्ट का। ऐसे खातों को सक्रिय करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक का जबर्दस्त दबाव है। दबाव के आगे बैंक भी मजबूर हैं।

खुद बैंक अधिकारी पैसा डालने को मजबूर

पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि खाता खुलवाने के बाद आधे खाताधारकों ने दोबारा बैंक का मुंह नहीं देखा। उन्होंने कहा, “पांच हजार रुपए ओवरड्राफ्ट के लालच में खुलवाए गए खातों में जब पैसा नहीं आया तो उनका मोह भंग हो गया। ऐसे खाताधारकों को कई बार पत्र भेजे जा चुके हैं, लेकिन कुछ असर नहीं पड़ा। अब ये खाते बैंक मैनेजरों के लिए सिरदर्द बन गए हैं।

” अधिकारियों की मानें तो इस मुसीबत को टालने के लिए बैंक मैनेजर शून्य बैलेंस वाले जनधन खातों में पैसे डाल रहे हैं। इस काम में पूरा स्टॉफ लगा है। बाकायदा हर खाताधारक के नाम एक-एक रुपए के बाउचर काटे गए हैं। इस खर्च को रोजमर्रा के चाय-पानी के खर्च में समायोजित किया जा रहा है”।

जनधन योजना सच्चाई कुछ और

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस योजना की तारीफ करते रहते हैं। वह यह भी दावा करते हैं कि आजादी के बाद पिछले दो वर्षों के भीतर जितने खाते खुले हैं, उतने खाते कभी नहीं खुले। नोएडा में हुए कार्यक्रम में उन्होंने तो यहां तक कहा था कि जनधन खातों से देश के खजाने में 35 हजार करोड़ रुपए एकत्र हुए हैं। लेकिन बैंक अधिकारी बताते हैं कि इस योजना की सच्चाई कुछ और ही है।

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