नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बृहस्पतिवार को कहा कि महाराष्ट्र में जल क्रांति योजना ने बुलढ़ाना जैसे सूखा प्रभावित जिलों की तस्वीर बदल दी है। उन्होंने कहा कि अगर इस मॉडल को पूरे देश में लागू किया जाए, इससे न केवल किसानों की किस्मत बदलेगी बल्कि राजमार्ग नेटवर्क भी मजबूत होगा। उन्होंने कहा कि नीति आयोग इस संदर्भ में दिशानिर्देश तैयार करेगा। जल क्रांति का विचार सड़क परिवहन, राजमार्ग और एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम) मंत्री गडकरी के दिमाग की ऊपज है। इसके तहत वर्षा जल संचयन और भूजल के पुनर्भरण को सुनिश्चित करने के लिए सूखाग्रस्त क्षेत्रों में तालाबों की खुदाई या गाद-मिट्टी निकाली जाती है। गाद-मिट्टी निकालने का काम राजमार्ग मंत्रालय मुफ्त में करता है। बदले में खुदाई से निकले रेत, मिट्टी और अन्य सामग्री लेता है, जिसका उपयोग सड़क निर्माण में किया जाता है। गडकरी ने कहा, ‘‘जल क्रांति के बुलढ़ाना मॉडल को महाराष्ट्र के कई जिलों में लागू किया गया। इससे उन क्षेत्रों में समृद्धि आयी है जहां पहले सबसे ज्यादा किसानों की खुदकुशी के मामले आते थे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस पहल से सिंचाई और पेय जल के लिये पर्याप्त पानी की उपलब्धता सुनिश्चित हो पायी है। दूसरी तरफ भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को राजमार्ग निर्माण के लिये रेत, मिट्टी मिली। नीति आयोग भी इस योजना के परिणाम से खुश है और उसे सभी राज्यों में लागू करने की योजना बना रहा है।’’
मंत्री ने कहा कि इस पहल से न केवल किसानों की किस्मत बदली जा सकती है बल्कि राजमार्ग विकास को भी गति मिलेगी। महाराष्ट्र के बुलढ़ाना में मुश्किल से 700 से 800 मिलीमीटर बारिश होती थी। यह पूरे विदर्भ क्षेत्र में सबसे कम है। देश में 2018 में किसानों की खुदकुशी के 5,763 मामले सामने आयें। इनमें से 2,239 इसी क्षेत्र से थे। गांव वालों और एनएचएआई अधिकारियों दोनों का कहना है कि इस मॉडल को अपनाने से चीजें बदली हैं। एनएचएआई के अनुसार जल संरक्षण के लिये 900 करोड़ रुपये का काम किया गया है। नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने सड़क परिवहन मंत्री को पत्र लिखकर उनके इन प्रयासों की सराहना की है और प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना और मनरेगा जैसी अन्य सरकारी योजनाओं में भी इन पहलों के विस्तार का सुझाव दिया है। कुमार ने कहा कि ग्रामीण विकास मंत्रालय को इस संबंध में दिशानिर्देश जारी करने चाहिये कि जहां कहीं भी भूमि की खुदाई से जुड़ा कार्य हो वहां मौजूदा अथवा प्रस्ताविक जलाशयों से निकलने वाली मिट्टी को प्राथमिकता दी जानी चाहिये।