नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को कहा कि जिन लोगों को इस बात की कम समझा है कि कालेधन से कैसे निपटा जाए, वहीं नोटबंदी के बाद बैंकिंग प्रणाली में नकदी लौटने पर सवाल उठा रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बुधवार को घोषणा की थी कि नोटबंदी के बाद 500 और 1000 के चलन से बाहर हुए 99 प्रतिशत के करीब नकदी बैंकिंग प्रणाली में वापस आ गई है और इस बाद सरकार पर नोटबंदी को लेकर चौतरफा हमला शुरू हो गया है।
कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने 99 प्रतिशत नकदी के वापस लौटने पर कहा कि यह रिजर्व बैंक के लिए लानत है। चिदंबरम ने कहा कि इन आंकड़ों से लगता है कि नोटबंदी कालेधन को सफेद करने के लिए लाई गई थी। जेटली ने इस बारे में आलोचनाओं को खारिज करते हुए कहा कि इन आंकड़ों के बाद वही लोग नोटबंदी पर सवाल उठा रहे हैं जिन्हें इस बारे में पर्याप्त समझा नहीं है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के बाद यह पता चल गया है कि बैंकों में नोट जमा कराने वाले कौन लोग हैं।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने नोटबंदी की घोषणा करते वक्त कहा था कि इससे कालेधन पर लगाम लगेगी और आतंकवाद की कमर तोड़ी जा सकेगी। वित्त मंत्री ने कहा कि नोटबंदी का मकसद अर्थव्यवस्था से नकदी को कम करना था। इसके अलावा डिजिटलीकरण को बढ़ावा देना, कर दायरा बढ़ाना और कालेधन से लड़ाई इसके अन्य उद्देश्य थे।
वित्त मंत्री ने कहा कि नोटबंदी के बाद छत्तीसगढ़ और जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी और अलगाववादी गतिविधियों पर अंकुश लगाने में मदद मिली है। उन्होंने विरोधियों पर हमला बोलते हुए कहा कि जिन लोगों ने नोटबंदी के खिलाफ एक भी कदम नहीं उठाया उन्हें नोटबंदी का मकसद समझा नहीं आएगा। बैंकों में नोट जमा होने का मतलब यह नहीं है कि सब सफेद हो गया है। विा मंत्री ने कहा कि नोटबंदी का मकसद पैसे को जब्त करना नहीं था। अब सरकार राजनीतिक चंदे की साफसफाई के लिए कदम उठाएगी।