फ्यूल कॉस्ट घटने से हुआ फायदा
कंसल्टेंसी फर्म केपीएमजी के पार्टनर और एयरोस्पेस एंड डिफेन्स के हेड अंबर दुबे कहते हैं कि
2015 के दौरान एयरलाइन कंपनियों को हुए प्रॉफिट के पीछे असली वजह कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट का आना है। एयरलाइन कंपनियों का 50 फीसदी ऑपरेशनल कॉस्ट फ्यूल होता है। वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान एयर टरबाइन फ्यूल (एटीएफ) की औसत कीमत 30 फीसदी घटकर 44.6 रुपए प्रति लीटर रही। वित्त वर्ष 2014-15 के दौरान एटीएफ की औसत कीमत 63.5 रुपए प्रति लीटर थी।
एयर टिकट सस्ता होने से बढ़ी यात्रियों की संख्या
ब्रोकरेज फर्म एसबीआईसीएपी सिक्योरिटीज के डिप्टी वाईस-प्रेसिडेंट महंतेश सबराद कहते हैं कि
क्रूड ऑयल की कीमतों में आई गिरावट कंपनियों के लिए वरदान साबित हो रहा है। भारतीय एविएशन इंडस्ट्री रिकवरी मोड में आ चुकी है। ऑयल की कीमतों में गिरावट से एयर टिकट के दाम कम हुए हैं और यात्रियों की संख्या बढ़ी है। भारत में घरेलू यात्रियों की ग्रोथ रेट 20 फीसदी पहुंच गई है।
कच्चे तेल में रिकवरी चिंता का विषय
कच्चे तेल की कीमतों में रिकवरी शुरू हो गई है जिसके कारण एविएशन सेक्टर को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। 26 मई को सात महीने में पहली बार ब्रेंट क्रूड की कीमत 50 डॉलर प्रति बैरल के पास पहुंच गई। हालांकि, एक्सपर्ट्स मानते हैं कि 2017 तक क्रूड की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचने की उम्मीद नहीं है। लेकिन 60 डॉलर भी इंडस्ट्री को परेशान करने के लिए काफी है। सबराद के मुताबिक वर्तमान में भारतीय एविएशन सेक्टर के लिए दो अहम फैक्टर्स हैं। पहला तेल की बढ़ती कीमतों का प्रभाव और दूसरा इंटरनेशनल बिजनेस से होने वाली कमाई, जो कि डॉलर के खिलाफ हेज करने का मौका देता है। भारत फिलहाल ग्लोबल स्तर पर दुनिया का नौवां सबसे बड़ा एविएशन मार्केट है। विमान निर्माता एयरबस के अनुसार 2011 से 2031 तक घरेलू हवाई यात्रियों की संख्या 9.5 फीसदी की दर से बढ़ने की उम्मीद है। वर्तमान में, भारत की जनसंख्या का केवल 2 फीसदी लोग हवाई सफर करते हैं।
Source: Quartz