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It's Right Time: चांदी खरीदने का आ गया सही मौका, अगले साल 40,000 रुपए/किग्रा तक पहुंच सकते हैं दाम

उत्पादन में गिरावट और सोलर पावर उपकरण बनाने वाली कंपनियों की ओर से बढ़ती मांग से चांदी की कीमतों में जल्‍द ही तेजी देखने को मिल सकती है। इसे खरीदने का मौका है।

Dharmender Chaudhary
Updated : December 08, 2015 8:30 IST
It’s Right Time: चांदी खरीदने का आ गया सही मौका, अगले साल 40,000 रुपए/किग्रा तक पहुंच सकते हैं दाम
It’s Right Time: चांदी खरीदने का आ गया सही मौका, अगले साल 40,000 रुपए/किग्रा तक पहुंच सकते हैं दाम

नई दिल्ली। क्‍या आप निवेश या फिर ज्वैलरी के लिए चांदी खरीदने का मन बना रहें है तो सही वक्त आ गया है। उत्पादन में गिरावट और सोलर पावर उपकरण बनाने वाली कंपनियों की ओर से बढ़ती मांग से इसकी कीमतों में जल्‍द ही तेजी देखने को मिल सकती है। दुनिया की बड़ी इकोनॉमिक्स कंसल्टेंट्स में से एक जीएफएमएस के मुताबिक 2016 के दौरान ग्लोबल मार्केट में मेटल की औसत कीमत 16.80 डॉलर प्रति औंस रह सकती है, जो कि वर्तमान से कीमत से 17.5 फीसदी अधिक होगी। इसको घरेलू बाजार के हिसाब से देखें तो कीमत 40,000 रुपए प्रति किलो पर पहुंच जाएगी। घरेलू बाजार में फिलहाल इसकी कीमत 35,000 रुपए प्रति किलो के आसपास चल रही है।

इस साल 9 फीसदी सस्ती हुई चांदी

अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने की संभावना और कमजोर इंडस्ट्रियल डिमांड की वजह से घरेलू बाजार में मेटल की कीमतों में 8 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। दिल्ली सर्राफा बाजार में चांदी 35,000 रुपए प्रति किलो के भाव पर बिक रही है। वहीं, अंतरराष्ट्रीय बाजार में मेटल की कीमतें 9 फीसदी फिसलकर 14.30 डॉलर प्रति औंस पर आ गई हैं। जीएफएमएस टीम के सीनियर एनालिस्ट एरिका रेनेस्‍टाड ने कहा कि 2015 में चांदी की औसत कीमत 15.5 डॉलर प्रति औंस रहेगी, जबकि 2016 में इसके 16.80 डॉलर प्रति औंस रहने की संभावना है। एसएमसी ग्रुप ऑफ कंपनीज के रिसर्च हेड रवि सिंह ने बताया कि ग्लोबल और घरेलू स्तर पर बन रहे समीकरण को देखकर लगता है कि अगले साल इस मेटल की कीमतें 40,000 रुपए प्रति किलो के पार पहुंच सकती हैं।

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डिमांड के मुकाबले चौथे साल भी कम रहेगी सप्लाई

सिल्वर इंस्‍टीट्यूट के अनुमान के मुताबिक 2015 के दौरान लगातार तीसरे साल हाजिर मार्केट में डिमांड के मुकाबले सप्लाई 1328.1 टन (4.27 करोड़ औंस) कम रहेगी। इंस्‍टीट्यूट ने कहा कि चौथे साल (2016) में भी डिमांड के मुकाबले चांदी की सप्लाई कम रहने की संभावना है। 2013 में 10.83 करोड़ औंस और 2014 में 3.48 करोड़ औंस चांदी की कमी बाजार में दर्ज की गई। वहीं, एरिका रेनेस्‍टाड ने कहा कि  चांदी की कुल मांग 1 फीसदी (10.46 लाख औंस) घटेगी, जबकि सप्लाई में भी इतनी ही गिरावट की आशंका है। 2015 में कुल सप्लाई 1.01 अरब औंस और डिमांड 1.05 अरब औंस रहने का अनुमान है।

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सोलर इंडस्ट्री से बढ़ी चांदी की डिमांड

चांदी की सबसे ज्यादा डिमांड सोलर पावर उपकरण बनाने वाली कंपनियों से बढ़ी है। जीएफएमएस टीम के मुताबिक इस साल फोटोवोल्टिक इंडस्ट्री से चांदी की मांग 17 फीसदी बढ़कर 7.42 करोड़ औंस रह सकती है। वहीं, चांदी की कुल इंडस्ट्रियल डिमांड में सोलर पावर की हिस्सेदारी 11 फीसदी से बढ़कर 13 फीसदी होने का अनुमान है। फोटोग्राफी से घटी डिमांड की भरपाई सोलर इंडस्ट्री कर रही है। जीएफएमएस टीम के अनुसार 2001 में फोटोग्राफी में 21.31 करोड़ औंस चांदी की खपत होती थी, जो कि इंडस्ट्रियल डिमांड का 38 फीसदी था। लेकिन,  2015 में यह घटकर 8 फीसदी रह गई है। फोटोवोल्टिक फिल्म सोलर पैनल में लगती है, जिससे बिजली बनती है।

Source: BS

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