नई दिल्ली। औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (ITI) से मैकेनिक, कारपेंटर अथवा फिटर जैसे विभिन्न व्यावसायिक कार्यों का प्रशिक्षण लेकर निकलने वाले छात्रों को आने वाले समय में 10वीं अथवा 12वीं के समकक्ष पढाई का दर्जा प्राप्त होगा और उसके आधार पर वह आगे स्नातक, इंजीनियरिंग अथवा दूसरी पढ़ाई भी कर सकेंगे। सरकार इस व्यवस्था को अमली जामा पहनाने के लिये केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) से बात कर रही है। कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय को उम्मीद है कि 2018-19 के शिक्षा सत्र से यह व्यवस्था अमल में आ जाएगी। कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री राजीव प्रताप रूड़ी ने कहा कि उनका मंत्रालय ITI की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए प्रयासरत है।
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अभी ITI से निकले युवकों को इसके प्रमाण-पत्र के आधार पर आगे सामान्य पढ़ाई या बीए, बीकॉम अथवा बीएससी या फिर इंजीनियरिंग अथवा बीबीए आदि पाठ्यक्रमों में प्रवेश का अवसर नहीं मिलता। अभी तक यह मान लिया जाता है कि ITI प्रशिक्षण के बाद वह युवा उसी काम में जाएंगे जिसमें उन्हें प्रशित किया गया है। रूड़ी ने कहा, हमारे मंत्रालय ने इस परेशानी को समझा है और इस दिशा में हम CBSE से बात कर रहे हैं। इसमें तीन विषय वह होंगे जिन्हें ITI पढ़ाता है और दो विषय बोर्ड की तरफ से दिये जाएंगे जिन्हें संबंधित छात्र को पास करना होगा। इसमें एक भाषा का विषय और दूसरा अन्य विषय होगा। ऐसी व्यवस्था का विचार है कि अभ्यर्थी जिन विषयों को ITI में पढ़ रहा है उसके 60 प्रतिशत अंक रखे जाएंगे और शेष 40 प्रतिशत अंक बोर्ड द्वारा दिए गए दो विषय के होंगे।
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केंद्र की सत्ता में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के तीन साल पूरे होने के मौके पर अपने मंत्रालय की उपलब्धियों को गिनाते हुये रूड़ी ने कहा कि ऐसी ही व्यवस्था के लिये हमने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग- एनआईओएस के साथ सहमति ज्ञापन किया गया है। इसमें आठवीं पास के बाद दो साल का ITI कोर्स करने वालों को सेकंडरी स्कूल के बराबर और दसवीं के बाद दो साल का ITI कोर्स करने वाले छात्रों को सीनियर सेकंडरी यानी 12वीं पास के बराबर का दर्जा प्राप्त होगा। एनआईओएस के साथ समझौते तहत 14 ITI से करीब 500 ITI छात्रों का पहला बैच दिसंबर 2016 में हुई परीक्षा में बैठा जिसमें से करीब 450 छात्र उत्तीर्ण हुए।
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रूड़ी ने कहा कि उनका मंत्रालय अभी सिर्फ ढाई साल पुराना है। यह मंत्रालय 9 नवंबर 2014 को बनाया गया। देश भर में कौशल विकास के लिए किए जा रहे तमाम प्रयासों को मंत्रालय के तहत लाया गया है। इस छोटी से अवधि में उन्होंने कई चुनौतियों का सामना किया है और विभाग को पहचान दिलाने के लिये कई कार्य किए हैं। कौशल की परिभाषा से लेकर उसके मानक तय करने, कौशल किसके लिए हो, कैसे हो, उसके मानक क्या हों, कितनी अवधि हो और कौन-कौन से पाठ्यक्रम हों, आकलन की क्या व्यवस्था हो इन तमाम चीजों को तय किया जाना था जिसमें हमने काफी हद तक सफलता पाई है।