नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि सरकार कराधान के मामले में भय और प्रीति दोनों तरह की नीति अपनाएगी और जीएसटी के बाद कर अधिकारी टैक्स चोरी करने वाले ऐसे चोरों को नहीं छोड़ेंगे, जिनके इनवॉयस उनके टैक्स भुगतान से मेल नहीं खाते। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार ने पिछले दो-तीन साल में टैक्स चोरी को मुश्किल बनाया है, जिससे कइयों को कड़ा झटका लगा है और जीएसटी अप्रत्यक्ष कर संग्रह में वृद्धि के अनुरूप प्रत्यक्ष कर आधार के विस्तार में मदद करेगा।
जेटली ने कहा, जीएसटी के मामले में भी अभी स्वैच्छिक अनुपालन हो रहा है। जब बिलों का मिलान होगा, तब पता चलेगा कि स्वैच्छिक अनुपालन उचित है या किस सीमा तक उचित रहा है। उन्होंने कहा, जहां तक टैक्स का सवाल है, एक-दो महीने के अनुभव से करदाताओं को यह दिख जाएगा अब का नारा है- ईमानदारी में ही समझादारी। जिनके वाउचरों का मिलान नहीं होगा, उन्हीं से सवाल पूछे जाएंगे।
एक जुलाई से लागू जीएसटी के तहत इनपुट क्रेडिट का लाभ का दावा करने के लिए कारोबारियों को इनवॉयस के रूप में सौदे की मात्रा की जानकारी देनी होगी। जेटली ने चेतावनी देते हुए कहा, आपको अपने दरों को लेकर युक्तिसंगत होने की जरूरत है, जहां तक प्रक्रियाओं का सवाल है, आपको अनुपालन बोझा कम करने की जरूरत है, करदाता और कर अधिकारियों के बीच भौतिक संबंध कम करने के लिए आपको और अधिक प्रौद्योगिकी के उपयोग की जरूरत है। लेकिन साथ ही अगर कोई कानून से बचने की कोशिश करता है, आपको भय भी दिखाना होगा।
उन्होंने कहा कि जब अप्रत्यक्ष कर की मात्रा बढ़ती है, उसका प्रत्यक्ष कर आय पर प्रभाव पड़ना तय है। जेटली के अनुसार जीएसटी का प्रभाव केवल अप्रत्यक्ष कर पर नहीं होगा बल्कि प्रत्यक्ष कर की व्यवस्था भी अधिक कुशल होगी। वित्त मंत्री ने कहा कि टैक्स को लेकर जो एक सोच है, उसमें बदलाव की जरूरत है क्योंकि इससे देश टैक्स चोरी के कारण लाखों और करोड़ों रुपए से वंचित होता है। उनका मानना है कि कानून को कड़ा किए जाने और टैक्स आधार बढ़ाने तथा कामकाज के और अधिक ईमानदार तरीके की जरूरत है।