नई दिल्ली। स्रोत पर कर कटौती (TDS) से कर संग्रहण में लगातार वृद्धि से उत्साहित आयकर विभाग की योजना अब इस श्रेणी में राजस्व बढ़ाने के लिए कई उपाय करने की है, जिससे कर अपवंचना को कम से कम किया जा सके।
विभाग का इरादा इस बारे में विभिन्न अंशधारकों मसलन कंपनी के स्रोत पर कर काटने वालों तथा चार्टर्ड अकाउंटेंटों के साथ बैठकें करने का है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि इस श्रेणी में कर समय पर उचित तरीके से जमा कराया जा सके। विभाग द्वारा इस बारे में वित्त वर्ष 2016-17 के लिए तैयार रणनीति पत्र के अनुसार केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कहा है कि टीडीएस के आंकड़ों को बढ़ाने के लिए काम किया जाना चाहिए। TDS कर अपवंचना रोकने के लिए एक बिना बाधा वाला ताकतवर माध्यम है। इससे कर दायरा बढ़ाने में भी मदद मिलती है।
इसमें कहा गया है कि TDS से करदाता द्वारा कर अपवंचना में भी कमी आती है क्योंकि इससे विभाग को लेनदेन की रिपोर्ट तीसरे व्यक्ति द्वारा की जाती है। वित्त वर्ष 2015-16 में कुल प्रत्यक्ष कर संग्रहण में TDS का योगदान 3,25,000 करोड़ रुपए (अस्थाई) रहा। यह 2014-15 के 2,91,096 करोड़ रुपए से 11.64 फीसदी अधिक है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार टीडीएस सकल प्रत्यक्ष कर संग्रहण में 37 फीसदी का योगदान करता है। इससे कुल प्रत्यक्ष कर संग्रहण में इसके बढ़ते महत्व का पता चलता है।
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