नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने स्थानीय स्टार्टअप्स और उद्योग घरानों से लीथियम आयन बैटरी की टेक्नोलॉजी के हस्तांतरण के लिए आवेदन मांगे हैं। इसके लिए इसरों ने पात्रता हेतु आवेदन का प्रारूप (आरएफक्यू) जारी किया है। इसरो इन ऊर्जा-दक्ष बैटरियों के स्थानीय निर्माण को बढ़ावा देना चाहती है और आयात पर निर्भरता को कम करना चाहती है।
इसरो ने कहा है कि सफल बोलीदाता को वह सैटेलाइट के लिए बैटरी बनाने के लिए लीथियम आयन बैटरी की टेक्नोलॉजी को 1 करोड़ रुपए में हस्तांतरित करेगी। इस टेक्नोलॉजी हस्तांतरण से स्वदेशी इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग को भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
इसरो के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) ने गैर विशिष्ट आधार पर सक्षम उद्योगों को आंतरिक तौर पर विकसित लीथियम आयन सेल प्रौद्योगिकी हस्तांतरित करने की पेशकश की है। इसरो ने बयान में कहा कि इस पहल से देश की शून्य उत्सर्जन नीति में मदद मिलेगी। साथ ही इससे घरेलू इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग को भी फायदा होगा।
मार्च में इसरो ने भेल के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके तहत भेल को अंतरिक्ष एजेंसी के लिए लीथियम आयन बैटरी बनाने के लिए टेक्नोलॉजी को हस्तांतरित किया जाएगा। इसका मकसद इन तरह की बैटरी के आयात को कम करना है।