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इजरायली मीडिया ने कहा, नेतान्याहू को घूस देने के मामले में रतन टाटा ने इजरायली पुलिस को दिया बयान

इजरायली मीडिया के अनुसार, भारत के उद्योगपति रतन टाटा ने प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में इजरायल की पुलिस को बयान दिया है।

Manish Mishra
Published on: November 06, 2017 12:14 IST
इजरायली मीडिया ने कहा, नेतान्याहू को घूस देने के मामले में रतन टाटा ने इजरायली पुलिस को दिया बयान- India TV Paisa
इजरायली मीडिया ने कहा, नेतान्याहू को घूस देने के मामले में रतन टाटा ने इजरायली पुलिस को दिया बयान

येरुशलम। इजरायली मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत के जाने-माने उद्योगपति रतन टाटा ने प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू से संबंधित भ्रष्टाचार के मामले में इजराल की पुलिस के समक्ष बयान दिया है। हालांकि, टाटा के कार्यालय ने इन खबरों को ‘तथ्यों से परे’ बताया है। द टाइम्स ऑफ इजरायल की रिपोर्ट के अनुसार, नेतान्याहू को कथित तौर पर लाखों शेकेल (इजरायली मुद्रा) के महंगे उपहार दिए जाने के मामले में रतन टाटा ने पुलिस के समक्ष दो घंटे तक अपना बयान दर्ज कराया।

नेतान्याहू के खिलाफ इस मामले को ‘ केस 1000 ’नाम दिया गया है। इसमें इजरायल के एक उद्योगपति एवं हॉलीवुड निर्माता आर्नन मिल्कन का नाम भी लिया जा रहा है। मीडिया चैनल 10 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मिल्कन ने रतन टाटा से विचार-विमर्श करके नेतान्याहू को जॉर्डन-इजरायल सीमा के पास एक मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाने के लिए कहा था। हालांकि इस पर कभी अमल नहीं किया गया।

द टाइम्स ऑफ इजरायल के अलावा टाटा से पूछताछ की रिपोर्ट हीब्रो लैंग्वेज मीडिया और पोर्टल एनएएनए डॉट सीओ डॉट आईएल ने भी प्रकाशित की है। हालांकि इजरायल पुलिस के राष्ट्रीय प्रवक्ता मिकी रोसेनफील्ड ने कहा कि उन्हें इस बारे में कुछ पता नहीं है।

टाटा के कार्यालय ने जवाबी ईमेल में इजरायली अधिकारियों के साथ उनकी मुलाकात का खंडन नहीं किया। लेकिन उसने कहा कि इजरायली मीडिया में चल रही रिपोर्टें तथ्यों से परें हैं और लगता है कि वे उनके पीछे कोई और मंशा है। बयान में कहा गया है कि ‘ नेतान्याहू का टाटा बड़ा सम्मान करते हैं और उन्हें एक आदरणीय मित्र मानते हैं। ऐसे आरोप निराधार हैं और इनके पीछे कोई गहरी मंशा लगती है।’

बयान में कहा गया है कि इजरायल में 31 अक्तूबर और 1 नवंबर को आयोजित ‘ स्मार्ट आवागमन व्यवस्था और ईंधन के विकल्प पर ’ आयोजित सम्मेलने से पहले इजरायली मीडिया के कुछ हलकों ने खबर प्रकाशित की कि सम्मेलन के दौरान टाटा देश में रहेंगे और जांच टीम इस मामले में उनसे पूछताछ कर सकती है।

बयान में यह भी कहा गया है कि टाटा को यात्रा कार्यक्रम रद्द करने की सलाह दी गयी थी पर वह योजना के अनुसार तेलअवीब में हुए सम्मेलन में शामिल हुए।

इस बयान के अनुसार दो आदमी टाटा से 1 नवंबर को साढ़े तीन बजे डेविड इंटरनेशनल में मिले थे। संभवत: वे जांच एजेंसियों के लोग रहे हो। इस बैठक में उनकी ओर से काई पहचान नहीं बताई गई थी। उन्होंने टाटा से पूछा था कि वह मिल्कन से कैसे मिले थे और उनका उनसे क्या व्यावसायिक संबंध है।

टाटा ने बताया कि उनकी मुलाकात कैसे हुई थी और यह भी स्पष्ट किया कि 26/11 के आतंकी हमले के बाद टाटा समूह के होटलों के लिए अनुबंधित एक सुरक्षा सलाहकार कंपनी के ग्राहक के अलावा उनका कोई और संबंध नहीं था। बाद में टाटा समूह को बताया गया कि उस कंपनी के साथ मिल्कन के कुछ हित जुड़े हैं।

टाटा से इजरायल में एक छोटा वाहन कारखाना लगाने की 2009 की योजना से जुड़ी घटनाओं को भी याद करने को कहा गया।

रतन टाटा के कार्यालय ने बयान में कहा है कि,

टाटा ने यह स्पष्ट किया है कि उन्हें इजरायल की सुरक्षा टीम के तरफ से एक परियोजना की अवधारणा तैयार करने में मदद मांगी गई थी जो शांति पहल का हिस्सा हो सकती थी। इसके तहत जॉर्डन नदी के किनारे उस मुक्त व्यापार गलियारे के निर्माण की बात थी जो हईफा तक जा रहा होता। इससे इजरायल में माल ढुलाई के खर्च में कमी हो सकती थी तथा फिलीस्तिनी लोगों को कुशल रोजगार मुहैया कराना जा सकता था।

बयान में कहा गया कि उस परियोजना के लिए विस्तृत योजना तैयार कर ली गई थी पर उसपर काम शुरू नहीं हुआ। शांति की उस मुहिम पर कभी काम हो नहीं पाया और इस तरह से परियोजना भी अधर में रह गयी।

बयान में आगे बताया गया कि टीम के एक सदस्य ने एक आंकड़े के बारे में पूछा जो उसने अपने पास के एक कागज देख कर पढ़ा था और कहा था कि मिल्कन उस परियोजना की अगुआई कर रहे थे तथा उसका अनुमानित खर्च 25 करोड़ डॉलर था।

बयान के अनुसार, टाटा ने तुरंत इसका उत्तर देते हुए कहा था कि उन्होंने मिल्कन से कभी इस परियोजना के बारे में बात नहीं की और परियोजना के खर्च का आकलन भी टाटा ने नहीं किया था। उन्होंने कहा था कि आंकड़े की गणना करने के संबंध में उन्हें कुछ मालूम नहीं है।

बयान में कहा गया है कि आंकड़ा वैसे भी एक असेंबली संयंत्र के लिए काफी अधिक प्रतीत होता है। अधिकारियों ने यह भी पूछा कि क्या नेतान्याहू इसमें संलिप्त थे। इसके जवाब में टाटा ने कहा कि एक बार 10-15 मिनट की बैठक में नेतान्याहू उपस्थित थे जिसमें उन्होंने संयंत्र के लिए दो तरजीही स्थानों का सुझाव दिया था।

बयान के अनुसार, टाटा ने स्पष्ट किया है कि उन्होंने कभी भी ऐसा नहीं कहा कि नेतान्याहू प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर पर परियोजना से जुड़े हुए थे या उन्हें उससे निजी फायदा था।

उल्लेखनीय है कि नेतान्याहू के खिलाफ दो आपराधिक मामले चल रहे हैं जिन्हें केस 1000 और केस 2000 के नाम से जाना जाता है। केस 1000 नेतान्याहू एवं उनके परिजनों को उद्योगपतियों से मिले कथित महंगे उपहारों से जुड़ा है। केस 2000 नेतान्याहू तथा इजरायल के सबसे बड़े दैनिक यदीथ अह्रोनोत के प्रकाशक एवं मालिक आर्नन मोजेस के बीच हुई लेनदेन से संबंधित है।

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