नई दिल्ली। कर अधिकारियों के एक संगठन ने वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद के कुछ निर्णय को बदलने के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप का आग्रह किया है। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को सौंपे ज्ञापन में अप्रत्यक्ष कर से जुड़े अधिकारियों के निकाय ने कहा है कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) और गृह मंत्रालय ने भी वस्तु एवं सेवा कर नेटवर्क (GSTN) को लेकर गंभीर सुरक्षा और वित्तीय चिंताएं व्यक्त की हैं।
GSTN एक विशेष उद्देश्यीय कंपनी है जिसका गठन नई कर व्यवस्था के क्रियान्वयन के लिए सूचना-प्रौद्योगिकी ढांचा गठित करने के इरादे से किया गया है।
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राज्यों के पास सेवा कर के मामले में कोई अनुभव नहीं
- GST काउंसिल ने 16 जनवरी को हुई बैठक में राज्यों को क्षेत्रीय जल क्षेत्र में 12 समुद्री मील के भीतर आर्थिक गतिविधियों पर शुल्क लगाने को मंजूरी दे दी।
- साथ ही 1.5 करोड़ से कम सालाना कारोबार वाले 90 प्रतिशत करदाताओं की जिम्मेदारी भी सौंपे जाने की अनुमति दी।
- इसके अलावा एकीकृत GST के कुछ प्रावधानों को तैयार करने की अनुमति प्रदान की।
- भारतीय राजस्व सेवा (सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क) अधिकारी संगठन ने कहा कि राज्यों के पास सेवा कर के मामले में कोई अनुभव नहीं है।
- संगठन के अनुसार, ऐसी स्थिति में एक ही प्रकार के कर मुद्दों पर अलग-अलग विचार राज्यों में सामने आ सकते हैं, जिससे भारी संख्या में कानूनी विवाद बढ़ेगा।
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GSTN को लेकर संगठन ने जताई चिंता
- अप्रत्यक्ष कर अधिकारियों के संगठन ने 1.5 करोड़ रुपए से कम आय वाले करदाताओं को 50:50 के अनुपात में विभाजन की समीक्षा की भी मांग की है।
- संगठन ने GSTN को लेकर भी चिंता जताई है जिसका नियंत्रण भारतीय राजस्व सेवा अधिकारियों के पास नहीं होगा।
- एसोसिएशन ने कहा, GSTN में सुरक्षा और वित्तीय चिंताएं हैं।
- इसका काम महानिदेशालय (सिस्टम), केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क को सौंपकर बचा जा सकता है।
- CAG और गृह मंत्रालय ने भी GSTN के संदर्भ में चिंता जतायी है।
- अधिकारियों के संगठन ने कहा है कि GSTN का चेयरमैन और मुख्य कार्यपालक अधिकारी मौजूदा या सेवानिवृत्त IRS अधिकारी हो या GSTN को CBEC के दायरे में लाया जाए।