नई दिल्ली। जीएसटीएन को लेकर सरकार की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। एक ओर जहां भाजपा सांसद सुब्रमणियम स्वामी ने निजी स्वामित्व वाली विशेष उद्देश्यीय कंपनी जीएसटीएन को वित्त मंत्रालय द्वारा कथित रूप से 300 करोड़ रुपए का अनुदान दिए जाने पर सवाल खड़ा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है। वहीं हजारों IRS अधिकारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक एसोसिएशन ने GSTN तथा GST परिषद सचिवालय के ढांचे के विरोध जताया है। भारतीय राजस्व सेवा (सीमा शुल्क व केंद्रीय उत्पाद शुल्क) अधिकारियों की एसोसिएशन ने इन मामलों में वित्त मंत्री अरूण जेटली के तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।
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स्वामी का कहना है कि केंद्रीय उत्पाद कर व सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) यह काम बहुत ही कम खर्च में कर सकता है।
उल्लेखनीय है कि वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) के कार्यान्वयन के लिए समर्थनकारी ढांचा प्रदान करने हुए संप्रग सरकार ने यह कंपनी स्थापित की थी। स्वामी इसके धुर विरोधी रहे हैं। अपने ताजा पत्र में उन्होंने कहा कि इस बारे में अंतिम फैसला करने से पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल को अच्छी तरह से सोच विचार करना चाहिए। उल्लेखनीय है कि GSTN में सरकार की 24.5 प्रतिशत, राज्यों की (कुल मिलाकर) 24.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है। बाकी 51 प्रतिशत हिस्सेदारी निजी वित्तीय संस्थानों के पास है जिनमें ICICI बैंक, HDFC बैंक, HDFC लिमिटेड, LIC हाउसिंग फिनांस व नेशनल स्टाक एक्सचेंज स्ट्रेटेजिक इन्वेस्टमेंट कारपोरेशन शामिल है।
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इधर एसोसिएशन ने एक बयान में कहा है, GSTN का प्रबंधन महानिदेशालय (सीबीईसी सिस्टम्स) के पास रहेगा। GSTN एक नयी कंपनी है और उसके पास किसी IT परियोजना के कार्यान्वयन या अप्रत्यक्ष कर नियमों की कोई जानकारी नहीं है। संगठन का कहना है कि जीएसटीएन का वित्तपोषण केंद्र व राज्य सरकारें कर रही हैं तो इसका प्रबंधन उन निजी व्यक्तियों सौंपने को उचित नहीं ठहराया जा सकता जिन्हें भारी भरकम वेतन व भत्ते मिलेंगे। आईआरएस (सीमा शुल्क व उत्पाद कर) कैडर में लगभग 3000 अधिकारी हैं।