नई दिल्ली। इरडा के चेयरमैन सुभाष सी खुंटिया ने बृहस्पतिवार को कहा कि नियामक कोविड-19 से जुड़े बीमा उत्पादों की अवधि बढ़ाने की अनुमति देने पर विचार कर रहा है। इसका कारण इसके टीके के आने में लगने वाला समय है। इसके अलावा बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) कोरोना वायरस के लिये मानक उत्पाद की दिशा में भी काम कर रहा है। यह उत्पाद पॉलिसीधारकों के लिये आसान होगा और उसके लिये भारी- भरकम पॉलिसी दस्तावेज की जरूरत नहीं होगी।
सीआईआई के डिजिटल तरीके से आयोजित बीमा और पेंशन सम्मेलन में खुंटिया ने कहा, ‘‘कोविड-19 संबंधित उत्पादों की समयसीमा बढ़ाने के संदर्भ में, हम उम्मीद कर रहे थे कि टीका आने में लंबा समय नहीं लगेगा। लेकिन अब ऐसा लगता है कि इसमें कुछ और समय लगेगा। इसको देखते हुए हम उपयुक्त समय पर पॉलिसी की अवधि बढ़ाने के बारे में निर्णय करेंगे।’’ उल्लेखनीय है कि कोरोना कवच नाम से 10 जुलाई को बीमा उत्पाद पेश किश गया था। इसकी पेशकश साधारण और स्वास्थ्य बीमा कंपनियां दोनों कर रही हैं। यह एक मानक स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी है, जिसे कोरोना वायरस संक्रमण के लिये जरूरी इलाज को लेकर तैयार किया गया है। पॉलिसी की मियाद साढ़े तीन महीने से लेकर साढ़े नौ महीने तक के लिये है। इसमें 5 लाख रुपये तक का बीमा लिया जा सकता है।
नये कोविड- 19 बीमा उत्पादों के बारे में खुंटिया ने कहा, ‘‘हम मानक उत्पाद ला रहे हैं। इसके पीछे विचार यह है कि इस उत्पाद को सभी कंपनियां बेचेंगी और पॉलिसीधारकों के लिये इसे लेना सरल होगा। उन्हें इसके लिये भारी-भरकम पॉलिसी दस्तावेज की जरूरत नहीं पड़े। उन्होंने यह भी बताया कि वैश्विक आर्थिक नरमी के बीच बीमा उद्योग पर कैसा असर पड़ा है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि क्षेत्र जल्दी ही पटरी पर आएगा क्योंकि सेवा की प्रकृति चक्रीय है, यानी संकट के समय इसकी ज्यादा जरूरत होती है। इरडा प्रमुख ने कहा क बीमा उद्योग में अप्रैल महीने में पिछले साल के इसी माह के मुकाबले 19.1 प्रतिशत की गिरावट आयी। अब अप्रैल-अगस्त (20 अगस्त तक) के दौरान इसमें 2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा, ‘‘जीवन बीमा क्षेत्र में अगस्त 2020 तक 2 प्रतिशत और साधारण बीमा 3.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। मुझे भरोसा है कि यह वृद्धि अब तेज होगी। मुझे उम्मीद है कि अगली तिमाही इस तिमाही के मुकाबले बेहतर होगी।’’ खुंटिया ने कहा कि जहां तक कोविड-19 से जुड़े मामलों में दावों का सवाल है, अबतक 2,38,160 स्वास्थ्य दावे किये गये और 1,430 करोड़ रुपये के 1,48,298 मामलों के निपटान किये जा चुके हैं।