नई दिल्ली। बीमा क्षेत्र के नियामक भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण( IRDA) ने विभिन्न बीमा पालिसियों के साथ 12 अंकों का आधार नंबर जोड़ने के लिये समयसीमा को उच्चतम न्यायालय का निर्णय आने तक बढ़ा दिया है। उच्चतम न्यायालय ने इस संबंध में दायर रिट याचिका को लेकर13 मार्च को दिये आदेश में विभिन्न योजनाओं के साथ आधार नंबर जोड़ने की समयसीमा को इस संबंध में अंतिम सुनवाई होने और फैसला आने तक के लिये बढ़ा दिया है।
उच्चतम न्यायालय के इसी आदेश को देखते हुये IRDA ने बीमा पालिसियों के साथ आधार संख्या जोड़े जाने की समयसीमा को 31 मार्च से आगे अनिश्चित काल तक के लिये बढ़ा दिया है। बीमा नियामक ने बीमा कंपनियों को जारी किये गये एक सर्कुलर में कहा कि मौजूदा बीमा पालिसियों के मामले में इनके साथ आधार संख्या को जोड़ने की अंतिम तिथि इस मामले की उच्चतम न्यायालय में सुनवाई पूरी होने और फैसला सुनाये जाने तक के लिये बढ़ाई जाती है।
जहां तक नई बीमा पालिसी की बात है, बीमा पॉलिसी खरीदार को उसका खाता शुरू होने से लेकर छह माह के भीतर अपनी आधार संख्या, पैन अथवा फार्म 60 को बीमा कंपनी में जमा कराना होगा। बीमा नियामक ने कहा है कि आधार संख्या नहीं होने की स्थिति में ग्राहक को मनी- लांड्रिेंग रोधी ( रिकार्ड का रखरखाव) नियम 2005 में दर्ज किये गये किसी भी वैध दस्तावेज को सौंपा जा सकता है। नियमों के तहत प्रवासी भारतीय पालिसीधारक को आधार नंबर नहीं होने की वजह से अपनी पॉलिसी लौटाने की आवश्यकता नहीं है। आधार नंबर नहीं होने की स्थिति में प्रवासी भारतीय, भारतीय मूल का व्यक्ति, विदेशी नागरिकता प्राप्त भारतीय मनी लांड्रिंग रोधी कानून में बताये गये किसी भी वैध दस्तावेज को जमा करा सकते हैं।